Kanya Pujan 2019: जानिए क्यों किया जाता नवरात्र में कन्या पूजन, क्या है पूजा विधि और कब है शुभ मुहूर्त

Kanya Pujan 2019: शारदीय नवरात्र में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान है. इस दिन कन्याओं को हलवा, पूरी और चने का भोग लगाया जाता है और उनको तोहफे में लाल चुनरी दिया जाता है. कन्या पूजन से भक्तों के सारे पाप मिट जाते हैं और उनको कार्यों में सफलता मिलती है.

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Kanya Pujan 2019: जानिए क्यों किया जाता नवरात्र में कन्या पूजन, क्या है पूजा विधि और कब है शुभ मुहूर्त

Aanchal Pandey

  • October 6, 2019 12:05 am Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. नवरात्र में जितना दुर्गा पूजा का महत्व है. अष्टमी और नवमी के दिन उतना ही कन्यापूजन का भी महत्व है. देवी भगवती पुराण के अनुसार इन्द्र भगवान ने जब ब्रह्मा जी से भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने सर्वोंत्तम विधि के रूप में कन्या पूजन ही बताया और कहा कि माता दुर्गा का जप, ध्यान, पूजन और हवन से जितना प्रसन्न नहीं होती उससे कहीं ज्यादा कन्या पूजन से होती हैं.

कन्या पूजन विधि- सामान्यत: तीन प्रकार से कन्या पूजन का विधान है.

1.प्रथम दिन एक कन्या का पूजन अर्थात नौ दिनों में नौ कन्यों का पूजन – इस पूजा से आपको कल्याण और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

2. कन्या पूजन विधि का दूसरा तरीक- प्रतिदिन दिवस के अनुसार संख्या अर्थात पहले दिन एक, दूसरे दिन दो और तीसरे दिन नवमी नौ कन्यओं अर्थात 9 दिनों में 45 कन्याओं को पूजन इससे आपको सुख, सुविधा और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

3. कन्या पूजन की तीसरी विधि- 9 कन्याओं का नवरात्रि को 9 दिनों तक पूजन. इससे पूजन से आपको पद,प्रतिष्ठा और भूमि की प्राप्ति होती है.

शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए कन्या की अवस्था
एक वर्ष की कन्या की पूजन नहीं करनी चाहिए
दो वर्ष – कुमारी – दुख, दरिद्रता और शत्रु का नाश
तीन वर्ष- त्रिमूर्ति- धर्म काम की प्राप्ति और आयु में वृद्धि
चार वर्ष- कल्याणी- धन और सुखों में वृद्धि
पांच वर्ष- रोहिणी- इस से सम्मान की प्राप्ति होता है.
छह वर्ष- कालिका – इस पूजा से विधा की प्राप्ति और प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलती है.
सात वर्ष- चण्डिका- इस पूजा से मुकदमा और शत्रु पर विजय
आठ वर्ष- शाम्भवी – इस पूजा से राज्य और सुख प्राप्ति होती है.
नौ वर्ष – दुर्गा – शत्रु पर विजय और दुर्भाग्य नाश होता है.
दस वर्ष- सुभद्रा- इस पूजन से सौभाग्य और मनोकामना पूरी होती है.

कन्या पूजन के समय धयान रखें कोई कन्या हीनांगी, अधिकांगी, अंधी, काणी, कूबड़ी, रोगी और दुष्ट स्वभाव की नहीं होनी चाहिए.

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त :

अष्टमी दिनांक 5 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर 6 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगी. इसके बाद नवमी 7 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक होगी. दोनों ही दिन कन्या पूजन का विधान है.

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