नई दिल्ली. भगवान शिव का प्रिय माह सावन या श्रावण माह 17 जुलाई 2019 से शुरु हो रहा है. हर साल श्रावण के महीने में लाखों की तादाद में कांवडिये अलग-अलग स्थानों से आकर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर पैदल चलकर अपने स्थान पर वापस लौटते हैं. इसे कांवड़ यात्रा कहा जाता है. श्रावण के चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से शिव जी का अभिषेक किया जाता है. यह केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक सरोकार भी है. कांवड़ के जरिए से जल की यात्रा का यह पर्व शिव की अराधना के लिए है.
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था, दुनिया को बचाने के लिए भगवान शिव ने इस विष का सेवन कर लिया था. जिसके बाद भगवान भोलनाथ को नीलकंठ भी कहा जाने लगा. विष का सेवन करते ही दुनिया तो बच गई लेकिन भगवान शिव का शरीर जलने लगा.भगवान शिव को शरीर को जलता देख कर देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया. पिछले दो दशकों से कावड़ यात्री की लोकप्रियता बढ़ी है और अब समाज का उच्च एवं शिक्षित व्ग भी कावड़ यात्रा में हिस्सा लेने लगे हैं.
कांवड़ जल भरने का समय
18 जुलाई 2019 को द्वितीय तिथि सुबह सूर्य उदय के बाद से लेकर सूर्यास्त तक कांवड़ में जल भरने का शुभ समय है. नजदीक वालों के लिए शुभ मुहूर्त 25 जुलाई 2019 अष्टमी तिथि को सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक है. इस साल श्रावण मास की शिवरात्रि 30 जुलाई 2019 को होगी. शिवरात्रि पर नुशीथ काल पूजा का समय 30 जुलाई 2019 को रात 11.06 से 11.48 तक रहेगा.
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एलान किया है कि 17 जुलाई से निकलने वाली कावड़ यात्रा के दौरान डीजो और माइक पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं रहेगा लेकिन फिल्मी गानों और अश्लील गानों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.
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