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Kamakhya Temple: जानिए किस लिए विख्यात है मां कामख्या मंदिर, क्या है पौराणिक मान्यताएं।

नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल यानी बीते रविवार को असम का दौरा किया। यहां उन्होंने 11 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के विख्यात, मां कामख्या मंदिर के कॉरिडोर की आधारशिला रखी। जानकारी के अनुसार, मां कामख्या मंदिर (Kamakhya Temple) का कॉरिडोर […]

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Kamakhya Temple
  • February 5, 2024 5:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल यानी बीते रविवार को असम का दौरा किया। यहां उन्होंने 11 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के विख्यात, मां कामख्या मंदिर के कॉरिडोर की आधारशिला रखी। जानकारी के अनुसार, मां कामख्या मंदिर (Kamakhya Temple) का कॉरिडोर बन जाने से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिलेगी। आइए जानते हैं असम के गुवाहटी में बने मां कामख्या मंदिर के बारे में।

मां कामख्या मंदिर (Kamakhya Temple)

असम के गुवाहटी शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर, मां कामख्या देवी का प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थित है। इसे देवी मां के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जहां हर साल लाखों भक्त देवी मां के दर्शन करने के लिए आते हैं। मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त सच्चे मन से मां आदि शक्ति के दर्शन करता है, उसे ज़िंदगीभर किसी भी संकट से गुजरना नहीं पड़ता और उन भक्तों पर मां भगवती की हमेशा कृपा बनी रहती है।

मंदिर से जुड़ी हुई पौराणिक मान्यता

वहीं पौराणिक कथा की मानें तो, एक बार मां सती के पिता दक्ष ने भरी सभा में शिव जी का अपमान किया था। माता सती से भगवान शिव का यह अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ के अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राणों कि आहुति दे दी। इसके बाद भगवान शिव, माता सती के वियोग में उनका देह लेकर इधर-उधर घूमने लगे। इस दौरान, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के देह पर प्रहार किया। इस प्रहार के कारण माता सती के अंग जहां-जहां गिरे वो स्थान शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हुए। ऐसा माना जाता है कि देवी सती के देह की योनि का भाग इसी जगह पर गिरा, तभी से यह स्थान मां कामख्या देवी के नाम से जाना जाता है।

मां कामख्या मंदिर (Kamakhya Temple) की कुछ प्रमुख जानकारी

  • बता दें कि मां कामख्या मंदिर में देवी मां की कोई प्रतिमा नहीं है। मंदिर में एक कुंड को उनका स्वरूप मानकर पूजा-अर्चना होती है।
  • इसके अलावा मंदिर का प्रमुख भाग जमीन से लगभग 20 फीट नीचे बना है। जमीन के नीचे एक विशाल गुफा भी बनी है।
  • इस तीर्थस्थान को मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
  • प्रतिमाह मंदिर के पट तीन दिनों के लिए बंद होते हैं। इन दिनों में कोई भी मां के दर्शन नहीं करता।
  • मां कामख्या मंदिर, तंत्र साधना के लिए भी मशहूर है। भक्त यहां सिद्धि पाने के लिए मां कामाख्या की पूजा करते हैं।

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