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Kalki Dwadashi 2022 : कब है कल्कि द्वादशी? भगवान कृष्ण के 10वे अवतार का होगा जन्म

नई दिल्ली : मान्यता है कि जब कलयुग में पाप बढ़ जाएगा तब भगवान विष्णु धरती पर कल्कि के रूप में जन्म लेंगे और पापियों का नाश करेंगे. इस रूप को ही कल्कि द्वादशी कहा गया है. समस्य-समय पर भगवान धरती पर जन्म लेते आए हैं. भगवान के इस अवतार को बेहद आक्रामक बताया गया […]

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  • September 6, 2022 9:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : मान्यता है कि जब कलयुग में पाप बढ़ जाएगा तब भगवान विष्णु धरती पर कल्कि के रूप में जन्म लेंगे और पापियों का नाश करेंगे. इस रूप को ही कल्कि द्वादशी कहा गया है. समस्य-समय पर भगवान धरती पर जन्म लेते आए हैं. भगवान के इस अवतार को बेहद आक्रामक बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु कलयुग में पाप का नाश करने अपने 10वां और आखिरी अवतार लेंगे. इसके बाद कलयुग समाप्त हो जाएगा.

क्या है कल्कि द्वादशी?

हर भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कल्कि द्वादशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस साल कल्कि द्वादशी 7 सितंबर बुधवार के दिन पड़ रही है. माना जाता है कि जब हरी अपना कल्कि अवतार लेंगे तब वह धरती पर धर्म की पुनर्स्थापना और पापियों का नाश करने के लिए आएंगे. भगवान विष्णु जी सफेद घोड़े पर सवार होकर हाथ में तलवार लिए पापियों का नाश करने अवतरित होंगे.

इस दिन मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन की हर मुश्किल और हर संकट दूर होते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के भक्त उनकी प्रिय चीजें उन्हें अर्पित करते हैं. इसके अलावा कल्कि द्वादशी के दिन विष्णुजी के मंत्र और विष्णु चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है.

कैसे करें विष्णु जी की पूजा?

कल्कि द्वादशी के दिन भगवान् विष्णु की पूजा अर्चना करने के लिए सबसे पहले सवेरे-सवेरे स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें. स्नान कर साफ-सुथरे और हल्के रंग के कपड़े पहनें. अगर आपके पास कल्कि अवतार की प्रतिमा न हो तो भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें। सबसे पहले मूर्ति का जलाभिषेक करें. इसके बाद कुमकुम से श्रीहरि का तिलक करें और उन्हें अक्षत अर्पित करें.एक बता का ध्यान रहे की आप भगवान विष्णु को भूलकर भी टूटे हुए चावल ना चढ़ाएं.

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