मासिक कालाष्टमी 2018: जानिए, क्यों की जाती है इस दिन भैरव की पूजा? ये है इसके पीछे की पौराणिक कथा

कालअष्टमी का त्योहार देश में धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार कालअष्टमी का त्योहार इस बार 7 फरवरी को मनाया जाएगा. काल अष्टमी पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा करने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है. इस दिन शिव पार्वती और भैरव की पूजा की जाती है.

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मासिक कालाष्टमी 2018: जानिए, क्यों की जाती है इस दिन भैरव की पूजा? ये है इसके पीछे की पौराणिक कथा

Aanchal Pandey

  • February 4, 2018 1:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. कालअष्टमी का त्योहार 7 फरवरी को मनाया जाएगा. हर माह कालअष्टमी, कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ती है. इस दिन भक्त जन भैरव पूजन करते हैं. कालअष्टमी का व्रत उस दिन किया जाता है जिस दिन रात्रि के वक्त अष्टमी तिथि का वास हो. 4 फरवरी को संध्या पश्चात अष्टमी तिथि का वास है इसीलिए कालअष्टमी का व्रत 7 फरवरी को ही मनाया जाएगा.

पौराणिक कथा : एक समय भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा जी में कौन सबसे ज्ञानी है एवं किसका ज्यादा उच्च स्थान है, इस पर विवाद छिड़ गया. जिसके बाद भगवान शिव जी ने बीच बचाव के लिए सभा बुलाई, सभा में भगवान विष्णु को ज्यादा उच्च स्थान मिलने की वजह से ब्रह्मा जी नाराज हो गए एवं अहं में आकर क्रोधित होकर शिव जी के वस्त्रों का और उनके रूप का मजाक बना दिया. इस अपमान से शिव जी को क्रोध आ गया, एवं उनकी छाया से उनके रौद्र स्वरूप भैरव देव उत्पन्न हुए, समस्त लोकों में प्रलय की सी स्थिति बन गयी. ऐसा देख कर ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास हुआ एवं उन्होंने शिव जी से माफी मांगी. भक्त जन भैरव पूजन में दिन भर और खास कर रात्रि के वक्त मंत्र, यंत्र एवं तंत्र द्वारा भैरव का पूजन किया जाता है. इस दिन प्रातः काल स्नान आदि कर पितरों की शांति के लिए भी पूजन अर्चना किया जाता है एवं तर्पण भी किया जाता है.

कालअष्टमी पूजा विधि 2018
अगर आपको नौकरी से सम्बंधित परेशानी है या फिर घर में अशांति है, समय पर काम नहीं होते हों तो आपको भैरव देव की शरण में जाना चाहिए. भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव का पूजन अर्चना समस्त प्रकार की विपदाओं से भक्त को मुक्त करता है. किसी भी प्रकार का नजर दोष हो, ऊपरी हवाओं का असर हो, तंत्रिक प्रयोग किया हुआ हो, अगर आप सच्चे मन से ईश्वर का पूजन अर्चना करेंगे तो इन सभी बाधाओं से मुक्ति अवश्य मिलेगी. भैरव मंदिर में जा कर , शिव पार्वती का पूजन करें, भैरव स्त्रोत का पाठ करें एवं मध्य रात्रि को शंख नगाड़ा आदि बजा कर कीर्तन एवं आरती करें. उनके वाहन शवानया कुत्ते को भी भोग अर्पित करें. अपनी पीड़ाओं की मुक्ति के लिए भगवान को तिल, तेल, नारियल, चिमटा आदि अर्पित करें.

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