अध्यात्म

Kalashtami 2018: जानिए कालाष्टमी का महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

नई दिल्ली. आज ही के दिन कालाष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा. कालाष्टमी कृष्णपक्ष की अष्टमी को हर माह पड़ती है. इस दिन भक्त जन भैरव पूजन करते हैं. कालाष्टमी का व्रत उस दिन किया जाता है जिस दिन रात्रि के वक्त अष्टमी तिथि का वास हो. 8 अप्रैल को अष्टमी तिथि का वास है इसीलिए कालाअष्टमी का व्रत 8 अप्रैल को ही मनाया जाएगा.

पौराणिक कथा- एक समय भगवान विष्णु एवं ब्रह्माजी में कौन सबसे ज्ञानी है एवं किस का ज्यादा उच्चस्थान है, इस पर विवाद छिड़ गया। भगवान शिव जी ने बीच बचाव के लिए सभा बुलाई, सभा में भगवान विष्णु को ज्यादा उच्च स्थान मिलने की वजह से ब्रह्मा जी नाराज हो गए एवं अहं में आकर क्रोधित हो कर शिवजी के वस्त्रों का और उनके रूप का मजाक बना दिया. इस अपमान से शिवजी को क्रोध आ गया, एवं उन की छाया से उनके रौद्र स्वरूप भैरव देव उत्पन्न हुए, समस्त लोकों में प्रलय की स्तिथी बन गयी. ऐसा देखकर ब्रह्माजी को अपनी गलती का एहसास हुआ एवं उन्होंने शिव जी से माफी मांगी.

भक्त जन भैरव पूजन में दिनभर और ख़ासकर रात्रि के वक्त मंत्र,यंत्र एवंतंत्र द्वारा भैरव का पूजन किया जाता है. इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि कर पितरों की शांति के लिए भी पूजन अरचन किया जाता है एवं तर्पण भी किया जाता है.

कौन कर सकते हैं काल अष्टमी व्रत- अगर आप को नौकरी से सम्बंधित परेशानी है, या फिर घर में अशांति है, समय पर काम नहीं होते हों तो आप को भैरव देव की शरण में जाना चाहिए. भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव का पूजन अरचन समस्त प्रकार की विपदाओं से भक्त को मुक्त करता है. किसी भी प्रकार का नज़र दोष हो, ऊपरी हवाओं का असर हो, तंत्रिक प्रयोग किया हुआ हो, अगर आप सच्चे मन से ईश्वर का पूजन अरचन करेंगे तो इन सभी बाधाओं से मुक्ति अवश्य मिलेगी.
भैरवमंदिर में जाकर, शिव पार्वती का पूजन करें, भैरव स्त्रोत का पाठ करें एवं मध्य रात्रि को शंक्ख नगाड़ा, आदि बजाकर कीर्तन एवं आरती करें. उनके वाहन शवान या कुत्ते को भी भोग अर्पित करें. अपनी पीड़ाओं की मुक्ति के लिए भगवान को तिल, तेल, नारियल, चिमटा आदि अर्पित करें.

व्रतविधि- प्रातः काल उठकर नित्य क्रिया से शुद्ध हो कर, काल भैरव का षोडशोपचार द्वारा पूजन करें. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों को शांति मिलती है. दान पुण्य अवश्य करें क्योंकि आज के दिन किया गया दानपुण्य आपके पितृदोष को भी मुक्त करता है. काले तिल, उड़द दाल का दान आपके लिए बहुत शुभ होगा.
बटुक भैरव मंत्र का पाठ, भैरव कथा, या फिर भैरव स्त्रोत का पाठ करना चाहिए, नकारात्मक ऊर्जाओं का विनाश होता है एवं जीवन में सुख एवं शांति मिलती है। चंद्र दर्शन के पश्चात व्रत को थोड़े.

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Aanchal Pandey

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