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Jivitputrika Vrat 2022 : इस दिन है जितिया व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

नई दिल्ली : हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने संतान की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए पूरा दिन निर्जल व्रत रखती हैं. आइए बताते हैं इस साल कब मनाया जाएगा जितिया व्रत और क्या है […]

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  • September 17, 2022 4:32 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने संतान की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए पूरा दिन निर्जल व्रत रखती हैं. आइए बताते हैं इस साल कब मनाया जाएगा जितिया व्रत और क्या है इसके पूजन की विधि व शुभ मुहूर्त.

कब है जितिया व्रत?

हर वर्ष अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है जो इस वर्ष 18 सितंबर 2022 को रविवार के दिन मनाया जाना है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि महिलाएं इसे तीन दिन तक रखती हैं. व्रत के पहले दिन नहाए -खाय होता है और वहीं दूसरे दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती है. तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है.

शुभ मुहूर्त

रविवार, सितम्बर 18, 2022 के दिन
अष्टमी तिथि प्रारम्भ करने का शुभ मुहूर्त – सितम्बर 17, 2022 को शाम 02 बजकर 14 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त करने का शुभ मुहूर्त – सितम्बर 18, 2022 को शाम 04 बजकर 32 मिनट तक

शुभ योग

अभिजित मुहूर्त – शाम 12 : 08 मिनट से शाम 12 बजकर 57 मिनट तक रहने वाला है.
विजय मुहूर्त – शाम 02 : 34 मिनट से शाम 03 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है.
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 : 26 मिनट से शाम 06 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है.

पूजन विधि

पहले दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें. इसके बाद महिलाएं अपनी पूजा कर लें. पूजा करने के बाद महिलाएं भोजन ग्रहण करती हैं जिसके बाद पूरे दिन वह कुछ भी ग्रहण नहीं करती हैं. व्रत के दूसरे दिन यानी अगली सुबह स्नान के बाद महिलाएं पहले पूजा पाठ करती हैं और फिर दूसरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत का पारण छठ व्रत के समान ही तीसरे दिन होता है. पारण से पहले महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देकर कुछ खाना खा सकती हैं. व्रत के तीसरे दिन झोर भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाने की मान्यता है. अष्टमी के दिन प्रदोष काल में महिलाएं जीमूत वाहन की पूजा के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा भी सुनती हैं.

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