नई दिल्ली, इस साल 18 व 19 अगस्त दोनों दिन कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. हालांकि, श्रीकृष्ण जन्मस्थान ने 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने का ऐलान किया है लेकिन कुछ लोग 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी मना रहे हैं. तो वहीं, कुछ लोग 18 और कुछ 19 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत रखने वाले हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है, इस साल अष्टमी तिथि 18 अगस्त व उदया तिथि और अष्टमी का आठवां पहर 19 अगस्त को पड़ रहा है.
आमतौर पर जन्माष्टमी के दिन बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है, लेकिन आप अपनी मनोकामना के आधार पर भगवान के जिस भी स्वरुप को चाहें उसकी पूजा कर सकते हैं. जन्माष्टमी पर अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए कान्हा जी की अलग-अलग प्रतिमाओं की भी उपासना की जाती है. प्रेम और दाम्पत्य जीवन में सुख-शांति के लिए राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें, वहीं संतान के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें और सामान्य जीवन में सुख-शांति के लिए बांसुरी वाले कृष्ण की मूर्ति स्थापना करें.
जन्माष्टमी पर सुबह स्नान करके व्रत या पूजा का संकल्प लें, आप चाहे तो जलाहार या फलाहार के साथ भी यह उपवास रख सकते हैं. मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें, इस प्रतिमा को दूध, दही, शहद, शक्कर और अंत में घी से स्नान कराएं. इसे पंचामृत भी कहा जाता है. इसके बाद कान्हा को जल से स्नान कराएं, फिर भगवान को फल और फूल अर्पित करें. ध्यान रखें अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित करें. ख्याल रहे काले या सफेद वस्त्र धारण करके पूजा ना करें.
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