.. तो इसलिए राधा-कृष्ण ने नहीं की कभी शादी, जानें पूरी कहानी

नई दिल्ली, कई जगहों पर आज 19 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार पर्व मनाया जा रहा है, आज सिर्फ मथुरा-वृंदावन ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. जन्माष्टमी का पावन पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. हम जन्माष्टमी तो […]

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.. तो इसलिए राधा-कृष्ण ने नहीं की कभी शादी, जानें पूरी कहानी

Aanchal Pandey

  • August 19, 2022 1:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, कई जगहों पर आज 19 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार पर्व मनाया जा रहा है, आज सिर्फ मथुरा-वृंदावन ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. जन्माष्टमी का पावन पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. हम जन्माष्टमी तो हमेशा ही मनाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है कि राधा कृष्ण का मिलन कैसे हुआ था, और जब दोनों एक दूसरे से इतना प्यार करते थे तो इन्होने कभी शादी क्यों नहीं की? शादी ना करने के बावजूद दोनों की पूजा हमेशा साथ होती है, दुनिया में ऐसे कई जोड़े हैं जो भगवान कृष्ण और राधा को प्रेरणास्रोत के रूप में मानते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं, राधा और भगवान कृष्ण की जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से.

कैसे मिले थे राधा-कृष्ण

ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण चार से पांच साल के थे, तब वह अपने पिता जी के साथ गौ चराने खेतों में जाया करते थे, ऐसे में एक बार अपने पिता को आश्चर्यचकित करने के लिए श्री कृष्ण ने वसंत के मौसम में तूफान ला दिया और ऐसे दिखाया जैसे उन्हें कुछ पता ना हो. अचानक से तेज बारिश शुरू हो गई और कृष्ण जी ने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया. कृष्ण जी को रोते देख उनके पिता जी ने उन्हें कसकर गले लगा लिया, अब भगवान कृष्ण के पिता परेशान होने लगे कि उन्हें इस मौसम में कृष्ण की देखभाल भी करनी है और गायों को भी देखना है, दोनों कैसे होगा. कृष्ण जी के पिता को उसी समय एक सुंदर कन्या आते हुए दिखी, जिसे देखकर नंद बाबा शांत हुए और उन्होंने उस लड़की को कृष्ण की देखभाल करने के लिए कहा. जब लड़की ने कृष्ण की देखभाल के लिए हां बोल दिया, उसके बाद नंद बाबा गायों को चराने लगे.

जब भगवान कृष्ण और वह लड़की अकेली थी तो कृष्ण जी उस लड़की के सामने एक युवक के रूप में आए, जिसने नारंगी रंग के वस्त्र धारण किए थे, उनके सिर पर मोर का पंख था, काला रंग और हाथ में बांसुरी थी. कृष्ण जी ने उस लड़की से पूछा कि क्या उसे याद है ऐसा ही एक प्रसंग, जब वह दोनों स्वर्ग में थे, इसपर उस लड़की ने हां बोला क्योंकि वहीं भगवान कृष्ण की राधा थीं. इस तरह धरती पर जन्म लेने के बाद राधा-कृष्ण का पहली बार मिलन हुआ.

अलग नहीं हुए थे राधा-कृष्ण

मान्यताओें के अनुसार राधा कभी भी भगवान कृष्ण से अलग नहीं होती हैं, दरअसल भगवान कृष्ण और राधा के बीच प्रेम का रिश्ता शारीरिक नहीं था, बल्कि ये भक्ति का एक शुद्ध रूप था. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा दैविक रूप के दो अलग-अलग सिद्धांत हैं, इसलिए ये दोनों अलग होकर भी कभी अलग नहीं होते.

इसलिए नहीं की शादी

भगवान कृष्ण और राधा ने एक दूसरे से शादी न करने का फैसला इसलिए किया था क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि प्रेम और विवाह एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं और यही साबित करने के लिए कि प्रेम शरीर से नहीं बल्कि भक्ति और शुद्धता के साथ होता है. दोनों ने एक-दूसरे से शादी न करके प्रेम की परम भक्ति को पूरे ब्रह्माण्ड के सामने पेश किया. कुछ मान्यताओं के अनुसार, राधा खुद को कृष्ण जी के लिए सही नहीं मानती थीं क्योंकि वह एक गाय चराने वाली थीं, इसलिए, वह भगवान कृष्ण से शादी नहीं करना चाहती थी. इसके अलावा, एक मान्यता ये भी है कि भगवान कृष्ण और राधा एक दूसरे को एक ही आत्मा मानते थे, इसलिए उनका कहना था कि वह अपनी ही आत्मा से कैसे शादी कर सकते हैं.

 

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