अध्यात्म

Jagannath Rath Yatra 2024: आज से शुभ मुहूर्त में शुरू हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा, विशेष अनुष्ठान के साथ होंगे भगवान के दर्शन!

नई दिल्ली: प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस साल यह रथ यात्रा 7 जुलाई 2024, रविवार को 5 विशेष शुभ मुहूर्त के साथ शुरू हुई है। जिसे बेहद दुर्लभ संयोग माना जा रहा है.हर साल की तरह इस साल भी ओडिशा के पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई से शुरू हो गई है.

प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस बार 53 साल बाद यह रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 दिन रविवार को 5 विशेष शुभ मुहूर्त के साथ शुरू हुई है। जिसे बेहद दुर्लभ संयोग माना जा रहा है. ग्रह-नक्षत्रों की गणना के अनुसार इस वर्ष दो दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया है, जबकि अंतिम दो दिवसीय यात्रा 1971 में आयोजित की गई थी।

पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि 7 जुलाई को सुबह 3:44 बजे शुरू हो गई है और 8 जुलाई को सुबह 4:14 बजे तक रहेगी. इससे भक्तों को भगवान जगन्नाथ की पूजा करने के लिए पूरा दिन मिलेगा. आज रविवार 7 जुलाई को रवि पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, शिववास समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। रवि पुष्य योग में सोना, चांदी, घर, वाहन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस शुभ योग में गृह प्रवेश और नया काम शुरू करना भी बहुत शुभ माना जाता है।

सोमवार, 8-16 जुलाई 2024

8 जुलाई की सुबह रथ को फिर से आगे बढ़ाया जाएगा. रथयात्रा सोमवार को गुंडिचा मंदिर पहुंचेगी. यदि किसी कारण देरी हुई तो रथ मंगलवार को मंदिर पहुंचेगा। भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर में ही रहेंगे. यहां उनके लिए कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. और भगवान को प्रसाद चढ़ाया जाता है. इसका पारंपरिक रीति-रिवाजों से पालन किया जाता रहा है और आज भी इसका पूरी तरह से पालन किया जाता है. रथ यात्रा 16 जुलाई को नीलाद्रि विजया नामक अनुष्ठान के साथ समाप्त होगी और तीनों देवता वापस जगन्नाथ मंदिर लौट आएंगे।

क्यों खास है जगन्नाथ मंदिर?

भारत के 4 अलग-अलग कोनों में स्थित पवित्र मंदिरों में से एक जगन्नाथ मंदिर भी है. तीन और मंदिर हैं – दक्षिण में रामेश्वरम, पश्चिम में द्वारका और हिमालय में बद्रीनाथ। पूरी दुनिया में जगन्नाथ मंदिर को छोड़कर शायद ही कोई ऐसा मंदिर होगा जहां भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा यानी तीनों भाई-बहनों की मूर्तियां एक साथ स्थापित होंगी।

एक मान्यता के अनुसार एक बार श्री कृष्ण की रानियों ने यशोदा की बहन और बलराम और सुभद्रा की मां रोहिणी से श्री कृष्ण की रास लीलाओं के बारे में पूछा। रोहिणी ने सुभद्रा के सामने श्रीकृष्ण के कारनामे बताना सही नहीं समझा और उन्हें बाहर भेज दिया. सुभद्रा तो बाहर चली गईं लेकिन उसी वक़्त श्रीकृष्ण और बलराम भी वहां आ गए. तीनों भाई-बहन छिपकर रोहिणी की बातें सुन रहे थे. उसी समय नारद मुनि वहां आए और तीनों भाई-बहनों को एक साथ देखकर प्रार्थना की कि तीनों भाई-बहन हमेशा इसी तरह एक साथ रहें। नारद मुनि की प्रार्थना स्वीकार कर ली गई और तब से तीनों पुरी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर में एक साथ विराजमान हैं।

इस प्रकार रथयात्रा का समापन होता है

जगन्नाथ रथ यात्रा नीलाद्रि विजया नामक एक अनुष्ठान के साथ समाप्त होती है जिसमें भगवान के रथों को टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है। रथों को खंडित करना इस बात का प्रतीक है कि रथ यात्रा पूरी होने के बाद, भगवान जगन्नाथ इस वादे के साथ जगन्नाथ मंदिर लौट आए हैं कि वह अगले साल फिर से भक्तों को दर्शन देने आएंगे।

Also read…

कृतिका मलिक पर कमेंट करना पड़ा भारी, गुस्से में अरमान ने विशाल को जड़ दिया थप्पड़!

 

Aprajita Anand

Recent Posts

तमिलनाडु के कई हिस्सों में भारी बारिश, राज्यसभा में आज से शुरू होगी संविधान पर चर्चा

इन दिनों पूरा देश ठंड की चपेट में है. सर्द हवाओं से टेम्प्रेचर में गिरावट…

4 minutes ago

छत्तीसगढ़ के बालोद में ट्रक ने मारी कार को टक्कर, 6 लोगों की मौत, 7 घायल

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में भीषण सड़क हादसा होने की खबर है। इस हादसे में…

8 minutes ago

संघर्षों से भरा रहा जाकिर हुसैन का बचपन, ट्रेन में अखबार बिछाकर सोना पड़ा

तबला वादक और भारतीय संगीत की शान उस्ताद जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह हो गया…

22 minutes ago

तबला सम्राट जाकिर हुसैन का निधन, 73 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा, परिवार ने की पुष्टि

मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन…

1 hour ago

नेतन्याहू ने मिलाया ट्रंप से हाथ, सीरिया के बाद इस मुस्लिम देश में तबाही मचाएंगे अमेरिका-इजरायल

नेतन्याहू ने कहा, "शनिवार को मेरी अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बेहद दोस्ताना…

1 hour ago