हिंदू धर्म में भगवान शिव के वाहन नंदी का विशेष महत्व है। शिव मंदिरों में नंदी की मूर्ति शिवलिंग के सामने स्थापित होती है, और भक्तगण उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से वह सीधे भगवान शिव तक पहुंचती है, जिससे इच्छाओं की पूर्ति होती है।
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में भगवान शिव के वाहन नंदी का विशेष महत्व है। शिव मंदिरों में नंदी की मूर्ति शिवलिंग के सामने स्थापित होती है, और भक्तगण उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से वह सीधे भगवान शिव तक पहुंचती है, जिससे इच्छाओं की पूर्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नंदी जी को भगवान शिव ने ही यह वरदान दिया था, कि जो भी तुम्हारे कान में आकर अपनी इच्छा बोलेगा, उसकी हर इच्छा पूरी होगी। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को अपनी इच्छा महादेव तक पहुचानी है, तो वह नंदी जी के कान में अपनी मनोकामना कहता है। नंदी जी के कान में अपनी मनोकामना कहने से पहले विधि-विधान से उनका पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही नंदी जी के कान में ऐसी इच्छा कहनी चाहिए, जिसका पूरा होना संभव हो। इसी के साथ किसी के अहित से जुड़ी इच्छा भी नंदी जी के कान में नहीं कहनी चाहिए।
1. पूजा-अर्चना: सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद नंदी जी को जल, फूल, और दूध अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर नंदी की आरती उतारें।
2. कान का चयन: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नंदी के बाएं (लेफ्ट) कान में अपनी मनोकामना कहनी चाहिए। हालांकि, किसी भी कान में बोल सकते हैं, लेकिन बाएं कान का अधिक महत्व माना गया है।
3. मंत्र का उच्चारण: मनोकामना व्यक्त करने से पहले ‘ॐ’ शब्द का या भगवान शिव के किसी मंत्र का उच्चारण करें। ऐसा करने से आपकी इच्छा भगवान शिव तक शीघ्र पहुंचती है।
4. गोपनीयता: अपनी मनोकामना इतनी धीरे से बोलें कि कोई अन्य व्यक्ति उसे न सुन सके। इसके लिए अपने होंठों को दोनों हाथों से ढक सकते हैं।
5. सकारात्मकता: नंदी के कान में कभी भी किसी की बुराई या नकारात्मक बात न कहें। केवल सकारात्मक और शुभ इच्छाओं को ही व्यक्त करें।
6. भेंट अर्पित करें: मनोकामना व्यक्त करने के बाद नंदी जी के समक्ष फल, प्रसाद, या धन अर्पित करें। इन नियमों का पालन करते हुए नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से, ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव आपकी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। यह परंपरा भक्तों के बीच अटूट श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।
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