अध्यात्म

इस शरद पूर्णिमा में इन सरल तरीकों से करें विधि-विधान से पूजा, जानिए इस दिन का महत्व

नई दिल्ली: शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ या ‘रास पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है और अपनी किरणों के माध्यम से अमृत बरसाता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य का संचार करता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महा रास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं।

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार भी यह विशेष है। इस दिन चंद्रमा की किरणों का स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे शरीर के दोष समाप्त होते हैं और मानसिक शांति मिलती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखकर उसे ग्रहण करने से रोगों का नाश होता है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। पंचांग के मुताबिक इस साल शरद पूर्णिमा की शुरुआत आश्विन माह के पूर्णिमा तिथि की के साथ 6 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर हो जाएगी। अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को इस तिथि का समापन शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा।

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शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प: शरद पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। इसके बाद शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा का संकल्प लें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना का संकल्प लेना अत्यंत शुभ माना जाता है।

2. लक्ष्मी पूजा: इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व होता है। घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाएं और लक्ष्मी माता की प्रतिमा को साफ स्थान पर स्थापित करें। उन्हें चंदन, फूल, धूप, दीप, और मिठाई अर्पित करें।

3. धन का पूजन: इस दिन घर में रखें धन का पूजन करें। मान्यता है कि इस दिन धन का पूजन करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक उन्नति होती है।

4. खीर का विशेष महत्व: शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर उसे चांदनी में रख दें। ऐसा माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं जो खीर में समाहित हो जाते हैं। अगले दिन सुबह उस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और परिवार में बांटें।

5. व्रत का पालन: कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और रात को चंद्रमा की पूजा के बाद फलाहार करते हैं। रात को जागरण करने और चंद्रमा के दर्शन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

6. कोजागरी पूजा: शरद पूर्णिमा को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। यह शब्द ‘को जागर्ति’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘कौन जाग रहा है?’। मान्यता है कि जो इस रात जागकर माता लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे लक्ष्मी कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

शरद पूर्णिमा की खासियत

1. स्वास्थ्य लाभ: शरद पूर्णिमा की चांदनी रात का विशेष रूप से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणें शरीर में ऊर्जा का संचार करती हैं और मानसिक शांति प्रदान करती हैं।

2. धन लाभ: इस रात जागकर लक्ष्मी माता की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और समृद्धि आती है। इस दिन दान का भी विशेष महत्व होता है। जरूरतमंदों को वस्त्र, अनाज या धन दान करने से पुण्य मिलता है।

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Shweta Rajput

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