अध्यात्म

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है, दान करने से सूर्य और शनिदेव की बनी रहती है कृपा

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में हर महीने पड़ने वाले व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व होता है. बता दें कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व होता है. इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी यानि आज मनाया जा रहा है. दरअसल मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन गंगा में डुबकी लगाने और भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से व्यक्ति को जीवन की सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है.

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है

मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व तो है ही, इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत है. दरअसल पौराणिक मान्यता के अनुसार सूर्यदेव शनिदेव के पिता हैं, और मकर संक्रांति पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं और एक महीने तक वहीं रहते हैं. हालांकि शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. तो इस प्रकार मकर संक्रांति को पिता-पुत्र के रिश्ते के रूप में देखा जाता है. तो वहीं एक दूसरी कथा के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन, भगवान विष्णु ने राक्षस को मार डाला, उसके सिर को काट दिए और पृथ्वी के निवासियों को राक्षसों के भय से मुक्त करने के लिए मंडल पर्वत में गाड़ दिया. तभी से मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. साथ ही इसके अलावा मकर संक्रांति को एक नए मौसम की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है. हालांकि मकर संक्रांति से ऋतु परिवर्तन प्रारंभ हो जाता है, और विदाई शरद ऋतु में शुरू होती है और बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है. बता दें कि इसकी कुछ पौराणिक मान्यताएं भी होती है.

1. मकर संक्रांति के दिन, भीष्म पितामह ने महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद सूर्य के उत्तरायण की प्रतीक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिये थे.
2. मकर संक्रांति के दिन माता यशोदा ने श्रीकृष्ण के पास पहुंचने के लिए व्रत रखा था.
3. मकर संक्रांति के दिन, गंगा कपिल मुनि के आश्रम को पार कर सागर में समा गयी और भागीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्त कराया.

सूर्य और शनिदेव को दान करने से

मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा, दान, गंगा स्नान और शनिदेव की पूजा करने से सूर्य और शनि से संबंधित सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं, और सूर्यदेव स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं, लेकिन शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, और सूर्य के प्रवेश से शनि का प्रभाव कमजोर हो जाता है. बता दें कि मकर संक्रांति के दिन कुछ खास कार्य करने से व्यक्ति समस्याओं से मुक्त हो जाता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए, और ऐसा करने से दस हजार गायों का दान के सामान फल मिलता है. बता दें कि इस दिन ऊनी वस्त्र, कंबल, तिल से बने व्यंजन, गुड़ और खिचड़ी चढ़ाकर सूर्य और शनि देव की कृपा मिलती है. मकर संक्रांति पर प्रयाग में संगम तट पर स्नान करने से अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है. दरअसल मकर संक्रांति पर तिल, घी, गुड़ और खिचड़ी का दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है, और सनी देव की कृपा बनी रहती है.

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Shiwani Mishra

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