नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा में इस्तेमाल होने वाली प्रत्येक पूजा सामग्री का अपना अलग महत्व है. मां की सेवा में लगने वाली हर एक चीज के पीछे मानव जीवन के लिए एक संदेश छिपा हुआ है. अगर इन सामग्रियों के साथ विधि-विधान से मां की आराधना की जाए तो भगवती भक्तों को मनोवांछित फल देने में देरी नहीं करतीं.
नई दिल्लीः चैत्र नवरात्र शुरू हो चुके हैं, नौ दिनों के इस पावन त्योहार में अगर विधि पूर्वक माता की पूजा की जाए तो मां दुर्गा सभी दुखों का अंत कर देती हैं. मां की पूजा में इस्तेमाल होने वाले सभी चीजों का अपना महत्व है. चाहें वह कलश हों, ज्वारे हों, दीपक हों या नारियल सभी देवी की पूजा में अहम भूमिका निभाते हैं. प्रत्येक पूजन सामग्री के पीछे कोई न कोई संदेश छिपा होता है. आइए जानते हैं किसका क्या है महत्व…
कलशः कलश की नवरात्रों की पूजा में सबसे अहम भूमिका है. धर्म शास्त्रों के अनुसार कलश को सुख, समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलश में ही 33 करोड़ देवी-देवताओं समेत नदियां, सागर और सरोवर का वास होता है. इसलिए कलश की अपनी अलग महत्ता है.
ज्वारेः ज्वारे और जौं शांति, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक होते हैं. ऐसी मान्यता है कि जौं के तेजी से बढ़ने से घर में खुशहाली भी उतनी तेजी से बढ़ती है. अगर वे मुरझाते हैं या बढ़ने नहीं तो वह किसी अनिष्ट का संकेत देते हैं.
दीपकः नवरात्रि में अखंड दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इससे हमें जीवन में उध्वगामी होने और अंधकार दूर करने की प्रेरणा मिलती है.
नारियलः नवरात्र में कलश के ऊपर नारियल को लाल कपड़े और मौली में लपेटकर रखने का विधान है. मां दुर्गा के समक्ष नारियल तोड़ना अहंकार तोड़ना जैसा है.
बंदनवारः ऐसी मान्यता है कि घर के बाहर बंदनवार लगाने से घर में नकारात्मक का प्रवेश नहीं होता. माना जाता है नवरात्रि के प्रथम दिन मां के साथ तामसिक शक्तियां भी होती हैं. देवी घर में प्रवेश करती हैं, लेकिन बंदनवार के कारण तामसिक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पातीं.
गुड़हल का फूलः सुर्ख लाल रंग का यह फूल असीम शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है. इसलिए यह पुष्प माता को अत्यंत प्रसन्न है.
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