ऐसा हो पूजा घर तो घर में होगा देवताओं का वास, जानिए इसके कुछ खास टिप्स

नई दिल्ली: वास्तु शास्त्र, जो कि भारत की प्राचीन विद्या है, हमारे जीवन के हर पहलू में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पूजा घर, जो कि हमारे घर का सबसे पवित्र स्थान होता है, उसका वास्तु के अनुसार सही दिशा में होना आवश्यक है ताकि उसमें देवताओं का […]

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ऐसा हो पूजा घर तो घर में होगा देवताओं का वास, जानिए इसके कुछ खास टिप्स

Shweta Rajput

  • September 4, 2024 12:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: वास्तु शास्त्र, जो कि भारत की प्राचीन विद्या है, हमारे जीवन के हर पहलू में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पूजा घर, जो कि हमारे घर का सबसे पवित्र स्थान होता है, उसका वास्तु के अनुसार सही दिशा में होना आवश्यक है ताकि उसमें देवताओं का वास बना रहे और घर में सुख-शांति बनी रहे।

पूजा घर की दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर को घर के उत्तर-पूर्व कोने में रखना सबसे शुभ माना जाता है। इसे ‘ईशान कोण’ कहा जाता है और इसे देवताओं का कोना भी माना जाता है। इस दिशा में पूजा करने से घर के सभी सदस्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। अगर किसी कारणवश उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा घर बनाना संभव न हो, तो पूर्व दिशा भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इन दिशाओं में बने पूजा घर में सुबह की धूप आती है, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

पूजा घर का आकार और स्थान

पूजा घर का आकार भी वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण है। इसे जितना संभव हो, छोटा और साफ-सुथरा रखना चाहिए। पूजा घर को हमेशा जमीन से कुछ ऊंचाई पर होना चाहिए, इसे एक स्टैंड या मंच पर रखा जा सकता है। वास्तु के अनुसार पूजा घर को रसोई, शौचालय, या बेडरूम के ठीक सामने नहीं बनाना चाहिए। इससे पूजा की शुद्धता पर असर पड़ता है। अगर घर में अलग से पूजा घर बनाना संभव नहीं है, तो पूजा की अलमारी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसे हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखा जाना चाहिए।

मूर्तियों और तस्वीरों की स्थिति

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में मूर्तियों और तस्वीरों को रखने की भी विशेष दिशा होती है। भगवान की मूर्तियों को इस प्रकार रखना चाहिए कि जब आप पूजा करें, तो आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। इससे पूजा का प्रभाव अधिक होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मूर्तियों को दीवार के बिल्कुल सटाकर नहीं रखना चाहिए। पूजा घर में केवल बैठी हुई या खड़ी हुई भगवान की मूर्तियों को ही रखना चाहिए। टूटी या खंडित मूर्तियों को पूजा घर में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह वास्तु दोष को बढ़ा सकता है।

पूजा घर की सफाई और सजावट

पूजा घर की सफाई और सजावट भी वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण मानी जाती है। पूजा घर को हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए। पूजा घर में धूप, दीप, और फूलों का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, पूजा घर में हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए, जैसे कि सफेद, हल्का पीला, या हल्का हरा। ये रंग शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होते हैं। पूजा घर में भारी सजावट से बचना चाहिए। हल्के फूलों की माला, दीपक, और अगरबत्ती से पूजा घर की सजावट करें। पूजा घर में हमेशा ताजे फूलों का प्रयोग करें और समय-समय पर पुराने फूलों को हटा दें।

पूजा घर के वास्तु दोषों का निवारण

अगर किसी कारणवश पूजा घर वास्तु शास्त्र के अनुसार नहीं बना हो, तो कुछ उपाय करके इन दोषों को दूर किया जा सकता है। पूजा घर में नियमित रूप से दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती का प्रयोग करें। वास्तु दोषों को दूर करने के लिए पूजा घर में शंख, घंटी, और शुद्ध घी के दीपक का भी प्रयोग किया जा सकता है।

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