नई दिल्ली : करीब चार महीने बाद अगले साल 20 अप्रैल को सूर्य का सबसे विचित्र रूप देखने को मिलेगा. जहां एक ही दिन में तीन तरह के सूर्य ग्रहण दिखाई देंगे. इसका मतलब आप एक ही दिन के दौरान आंशिक (Partial), पूर्ण (Total) और कुंडलाकार (Annular) सूर्य ग्रहण देख सकेंगे. बेहद दुर्लभ है ये […]
नई दिल्ली : करीब चार महीने बाद अगले साल 20 अप्रैल को सूर्य का सबसे विचित्र रूप देखने को मिलेगा. जहां एक ही दिन में तीन तरह के सूर्य ग्रहण दिखाई देंगे. इसका मतलब आप एक ही दिन के दौरान आंशिक (Partial), पूर्ण (Total) और कुंडलाकार (Annular) सूर्य ग्रहण देख सकेंगे.
इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse) कहा जाता हैं जो 100 साल में कुछ एक बार बार या कुछ बार ही दिखाई देता है. कुछ बार इसलिए क्योंकि इसकी गणना करना काफी कठिन होता है. इस वजह से एक समयांतराल के दौरान इसकी तय संख्या बता पाना वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल है. बता दें, सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं. आंशिक सूर्य ग्रहण सबसे ज़्यादा देखा जाता है और ये सबसे सामान्य सूर्य ग्रहण होता है. इसमें सूर्य के किसी छोटे हिस्से के सामने आकर रोशनी रुक जाती है. दूसरा कुंडलाकार सूर्य ग्रहण होता है यानी जब चंद्रमा सूर्य के बीचो-बीच आकर रोशनी को रोक लेता है. ऐसे में सूर्य के चारों तरफ एक चमकदार रोशनी का गोला बन जाता है. इसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है.
तीसरा है वह सूर्य ग्रहण है जिसमें चन्द्रमा पूरी तरह से सूरज को ढक लेता है इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते है. केवल सूरज के कोरोना की रोशनी दिखाई देती है. यह खुली आंखों से बिना किसी तरह के यंत्र के बाद भी देखा जा सकता है. लेकिन आज हम आपको चौथे और सबसे विचित्र प्रकार के सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं. ये है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण जो तीनों ग्रहण का मिश्रण माना जाता है. आज तक के सबसे खूबसूरत और दुर्लभ ग्रहण के तौर पर भी इसे जाना जाता है.
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण असल में कुंडलाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण का मिश्रण दिखाई देता है. जहां पहले कुंडलाकार सूर्य ग्रहण लगता है और फिर पूर्ण सूर्य ग्रहण. इसके बाद यही प्रक्रिया उलट भी होती है इसमें दुनिया भर में अलग-अलग समय पर अलग-अलग ग्रहण भी दिखाई देते हैं. आप सूर्योदय या सूर्यास्त के समय हाइब्रिड सूर्य ग्रहण देख रहे हैं तो आपको हल्का सा रिंग ऑफ फायर दिखेगा. लेकिन यही समय अलग हुआ तो आपको कुछ अलग देखने को भी मिल सकता है.
चंद्रमा लगातार पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता हैं लेकिन वह हमेशा धरती से एक बराबर दूरी पर ही ऐसा करता है. चंद्रमा कभी थोड़ा दूर तो कभी नजदीक रहता है. जिस कारण जब वह सूर्य और धरती के बीच आता जाता रहता है. ऐसे में चंद्रमा की छाया से पृथ्वी का एक भूभाग पूरी तरह ढंक जाता है. इसलिए पुर्ण सूर्यग्रहण देखा जाता है. लेकिन जब चन्द्रमा और धरती के बीच की दूरी पृथ्वी से ज्यादा होती है, तब उसकी छाया छोटी होती है ऐसे में कुंडलाकार सूर्य ग्रहण बनता है.
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