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गुरु पर्व से कितने दिन पहले शुरू होती है प्रभात फेरी, जानें इसका महत्व

नई दिल्ली: सिख धर्म के पहले गुरु और इसके संस्थापक, गुरु नानक देव जी का जन्मदिवस यानि गुरु पर्व इस वर्ष 15 नवंबर को मनाया जाएगा। यह पर्व सिखों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है और कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन इसे पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें गुरु नानक […]

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Guru Nanak Gurpurab 2024
  • October 28, 2024 5:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: सिख धर्म के पहले गुरु और इसके संस्थापक, गुरु नानक देव जी का जन्मदिवस यानि गुरु पर्व इस वर्ष 15 नवंबर को मनाया जाएगा। यह पर्व सिखों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है और कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन इसे पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को राई भोई दी तलवंडी नामक गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अपना जीवन मानवता को अध्यात्म का मार्ग दिखाने में समर्पित किया और सिख धर्म की स्थापना की। वहीं गुरु पर्व से पहले ही प्रभात फेरी की शुरुआत हो जाती है.

सुबह कितने बजे निकाली जाती है प्रभात फेरी

गुरु पर्व को ‘प्रकाश पर्व’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि सिख समुदाय में यह मान्यता है कि गुरु नानक देव ने संसार में आध्यात्मिकता का प्रकाश फैलाया। बता दें इस पर्व की शुरुआत गुरु पर्व से करीब 15 दिन पहले होती है। इन दिनों में प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं, जहां श्रद्धालु सुबह-सुबह 4 बजे गुरुद्वारे से निकलते हैं और शबद-कीर्तन करते हुए भक्तिमय माहौल बनाते हैं। इसके बाद गुरु पर्व से एक दिन पहले नगर कीर्तन का आयोजन होता है। इस शोभायात्रा में गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजी पालकी में रखा जाता है, जिसे पंच प्यारे ध्वज लेकर आगे बढ़ाते हैं और उनके पीछे श्रद्धालु कीर्तन करते हुए चलते हैं।

Guru Nanak Jayanti | Gurpurab 2024

गुरुद्वारे में लंगर की व्यवस्था

गुरु पर्व से तीन दिन पहले ही गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ शुरू कर दिया जाता है, जो बिना रुके गुरु पर्व के दिन तक चलता है। इस विशेष दिन पर सुबह 4-5 बजे से ही भक्त प्रभात फेरी में भाग लेकर गुरु नानक देव के भजन गाते हैं। वहीं फेरी के बाद, श्रद्धालु गुरुद्वारे में कथा और कीर्तन सुनते हैं। इसके साथ ही हर गुरुद्वारे में लंगर की व्यवस्था की जाती है, जो सेवा और समानता का प्रतीक है। इसके अलावा लंगर में विशेष भोजन तैयार किया जाता है और सभी आने वाले श्रद्धालुओं को प्रेमपूर्वक परोसा जाता है।

रात के समय गुरुद्वारों में गुरुबानी का पाठ होता है। वहीं गुरु पर्व न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह समाज में सेवा, प्रेम और भाईचारे का संदेश भी फैलाता है।

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