अध्यात्म

आखिर कैसे हुई थी रुद्राक्ष की उत्पत्ति? जानिए इसके पीछे की कथा और पहनने के लाभ

नई दिल्ली: रुद्राक्ष, जिसका अर्थ है “रुद्र की आँख”, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में अत्यधिक महत्व रखता है। इसका उपयोग पूजा-पाठ, ध्यान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं रुद्राक्ष की उत्पत्ति और ज्योतिष में इसके महत्व के बारे में।

रुद्राक्ष उत्पत्ति की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई। यह कथा शिव पुराण में वर्णित है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, चिरकाल में त्रिपुरासुर नामक असुर के अत्याचार से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर त्रिपुरासुर ने स्वर्ग पर अपना अधिपत्य जमा लिया था। इसके बाद सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए और उन्हें आपबीती सुनाई। तब देवता संग ब्रह्मा जी बैकुंठ लोक भगवान श्रीनारायण के पास पहुंचे। तब भगवान विष्णु ने उन्हें भगवान शिव से सहायता लेने की सलाह दी। सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। देवताओं को व्याकुल देख भगवान शिव बोले- आप चिंतित न हो। आप सभी की परेशानी अवश्य दूर होगी। यह कहकर भगवान शिव ध्यान में लीन हो गए। लंबे समय तक तप करने के बाद भगवान शिव ने आंखें खोलीं। उस समय भगवान शिव की आंखों से आंसू टपकने लगे। आंसू गिरने वाले स्थानों पर रुद्राक्ष के पेड़ उग गए। अतः रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू से हुई है। रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति की सभी परेशानी दूर हो जाती है। तत्कालीन समय में भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर तीनों लोकों में शांति स्थापित की।

ज्योतिष में रुद्राक्ष का महत्व

रुद्राक्ष असल में एक फल है, जो इलियोकार्पस गेनिट्रस नामक वृक्ष से प्राप्त होता है। इन पेड़ों की ऊंचाई पेड़ 50 फीट से लेकर 200 फीट तक होती है और यह पेड़ नेपाल, इंडोनेशिया,ऑस्ट्रेलिया और भारत में हिमालय और गंगा के मैदानी क्षेत्रों में पाया जाता है। रुद्राक्ष के बीजों पर विशेष रेखाएं होती हैं, जिन्हें मुख या “माला” कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार, रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह विभिन्न ग्रह दोषों को शांत करने, मन की एकाग्रता बढ़ाने, और शारीरिक-मानसिक समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक माना जाता है।

प्रमुख प्रकार और उनके लाभ

1. एकमुखी रुद्राक्ष: इसे भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। यह धन और मन की शांति प्रदान करता है।
2. तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं। धर्म-कर्म में रूचि बढ़ती है।
2. पंचमुखी रुद्राक्ष: सबसे सामान्य प्रकार, यह स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।
4. सप्तमुखी रुद्राक्ष: यह शनि दोष को शांत करता है और वित्तीय समस्याओं को दूर करता है।

रुद्राक्ष पहनने की ज्योतिषीय सलाह

1. शुद्धता का ध्यान रखें: रुद्राक्ष को पहनने से पहले पूजा करना आवश्यक है।
2. धातु का चयन: चांदी, सोना, या लाल धागे में इसे धारण करें।
3. दिन और समय: इसे सोमवार या किसी शुभ दिन धारण करना अच्छा माना जाता है।
4. ज्योतिषीय सलाह लें: ग्रह दोषों के अनुसार उपयुक्त रुद्राक्ष पहनने के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करना चाहिए।

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Shweta Rajput

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