नई दिल्ली। आज देश भर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार हर साल मनाया जाता है। भुवन मोहन कन्हैया के जन्मदिवस पर आज जानेंगे हम उनकी 16 हजार 108 रानियों के पीछे का सच और वो अपनी पत्नियों के साथ कैसे समय बिताते थे।
भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अवतार थे। उनका जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। वो वासुदेव-देवकी के पुत्र थे। उनका लालन-पालन यशोदा मैया और नंद बाबा ने किया। गोकुल में श्री कृष्ण की जान राधा में बसती थी। बाद में वो द्वारका चले गए और उनकी 16 हजार 108 रानियां बनीं। पुराणों के अनुसार नरकासुर नामक राक्षस ने अमरत्व पाने के लिए 16 हजार कन्याओं की बलि देने के लिए कारागार में कैद कर लिया। कृष्णा ने नरकासुर करके उन सभी को मुक्त कराया। हालांकि उन कन्याओं के परिजनों ने पवित्रता का हवाला देकर उन्हें अपनाने से इंकार कर लिया।
इसके बाद भगवान कृष्ण हजार रूपों में प्रकट हुए और उन सभी के साथ विवाह रचाया। इसके अलावा कृष्ण की 8 पटरानियां भी थीं। कृष्ण ने अपनी पत्नियों में भेदभाव नहीं किया। आठों पहर वो अपनी सभी पत्नियों के साथ उसके महल में रहते थे। वो हजार रूप में प्रकट होकर अपनी पत्नियों के साथ समय बिताते थे। पुराणों में बताया गया है कि भगवान की 16 हजार 108 कन्याओं से 10-10 पुत्र और एक-एक पुत्री हुई। इस तरह से उनके 1 लाख 61 हजार 80 पुत्र और 16 हजार 108 कन्याएं भी थीं। वो भारत के सबसे बड़े परिवार के मुखिया कहे जाते हैं।
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