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2 या 3 फरवरी कब है बसंत पंचमी का पावन पर्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। यह पर्व ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व किस दिनांक को मनाया जाएगा और इसके क्या महत्व है. आइए जानते है.

Basant Panchami date and time 2025
  • February 1, 2025 10:52 am Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। यह पर्व ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार वसंत पंचमी और ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व किस दिनांक को मनाया जाएगा और इसके क्या महत्व है. आइए जानते है.

बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व

इस वर्ष बसंत पंचमी का पावन पर्व 2 फरवरी, रविवार को मनाया जाएगा। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। विद्या, बुद्धि और कला के क्षेत्र में उन्नति के लिए भक्तजन माता सरस्वती की उपासना करते हैं। इस अवसर पर शिक्षण संस्थानों और मंदिरों में पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

इस बार पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:14 बजे शुरू होकर 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे समाप्त होगी। सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त 2 फरवरी को सुबह 7:09 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। इस दौरान कुल 5 घंटे 26 मिनट तक पूजा-अर्चना का शुभ समय रहेगा।

Basant Panchami

कैसे करें मां सरस्वती की उपासना?

  • इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें।
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करें।
  • सूर्योदय के बाद या सूर्यास्त के ढाई घंटे बाद पूजन करना शुभ माना जाता है।
  • मां सरस्वती को श्वेत चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें।
  • प्रसाद में मिश्री, दही, लावा और केसर मिश्रित खीर चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • मां सरस्वती के मूल मंत्र ‘ऊं ऐं सरस्वत्यै नम:’ का जाप करें और फिर प्रसाद ग्रहण करें।

बसंत पंचमी पर करने योग्य कार्य

1. अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है।

2. मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिक्षा और विद्या से जुड़ी वस्तुओं का दान करें।

3. प्राचीन मान्यता के अनुसार, सुबह उठते ही अपनी हथेलियों के दर्शन करना शुभ माना जाता है, क्योंकि मां सरस्वती का वास हाथों में माना जाता है।

4. इस दिन विद्यार्थियों को नई पुस्तकें, कलम या कॉपी की पूजा कर अध्ययन करना चाहिए।

बसंत पंचमी न केवल देवी सरस्वती की आराधना का पर्व है, बल्कि इसे ऋतु परिवर्तन और नए कार्यों के शुभारंभ का प्रतीक भी माना जाता है।

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