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Holika Dahan Shubh Muhurat: आज होलिका दहन, जानें इसके महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

Holika Dahan Shubh Muhurat: आज होलिका दहन, जानें इसके महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

नई दिल्ली : होलिका दहन का त्योहार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को दुरंडी से एक रात पहले मनाया जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. होलिका दहन के दौरान हर चौराहे से सूखी लकड़ियाँ और गोबर के उपले एकत्र किये जाते हैं और पूजा-अर्चना के बाद होलिका के चारों ओर वितरित किये जाते हैं. अंत में शुभ मुहूर्त देखकर होलिका दहन किया. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक होलिका दहन पर कुछ-न-कुछ अर्पित करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य बना रहता है.

बता दें कि इस बार पंचांग के मुताबिक इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 55 मिनट से आरंभ हो जाएगी जो 25 मार्च 2024 को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. ज्योतिष की गणना के मुताबिक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.

होलिका दहन की पूजा विधि

होलिका दहन की पूजा करते समय भक्त सबसे पहले होलिका के पास जाते हैं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठते हैं. इसके बाद पूजा सामग्री जैसे जल, रोली, अक्षत, फूल, कपास, धुंध, साबुत हल्दी, मंगल, गुग्गल, बताशे साथ ही नई फसल यानी कि गेहूं और चने की पकी बालियां ले लें। इसके बाद होलिका के पास ही गाय के गोबर से बनी गुलरियों की माला रख लें.

यदि संभव हो तो जलती हुई हेलिका को अग्नि तत्व की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें. फिर कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर 3 से 7 बार लपेटें और प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा करते हुए होलिका और भक्त प्रहलाद को अर्पित कर दें. भगवान विष्णु के अवतार नरसिम्हा को श्रद्धांजलि दें और अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें. होलिका दहन के बाद अग्नि में जल डालें और अग्नि के चारों ओर घूमकर अग्निदेव को प्रणाम करें.

जानें होलिका पूजन के महत्व को

हमारे सभी धार्मिक ग्रंथ कहते हैं कि होलिका दहन के शुभ काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. नारद पुराण के मुताबिक फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रा रहित प्रदोष काल में अग्नि जलाना सर्वोत्तम माना गया है. होलिका दहन के दौरान परिवार के सभी सदस्यों को नया अनाज यानी गेहूं,जौ एवं चना की हरी बालियों को लेकर पवित्र अग्नि में समर्पित करना चाहिए ऐसा करने से घर में शुभता का आगमन होता है. बता दें कि होली की आग को धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है, इसलिए लोग इस आग को अपने घरों में लाते हैं और जलाते हैं. वहीं कुछ स्थानों पर आज भी इस अग्नि से स्थाई दीपक जलाने की परंपरा है. हालांकि माना जाता है कि इससे ना सिर्फ परेशानियां दूर होती हैं, बल्कि सौभाग्य और समृद्धि भी आती है.

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