नई दिल्ली, Holi 2022 भारत को विविधताओं का देश माना जाता है. यहां हर त्योहार बड़े ही धूम-धाम और हर क्षेत्र में अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. रंगो का त्योहार होली को भी लोग अलग-अलग तरीके से मनाते है. उत्तराखंड में जहां इसे कुमाऊंनी गानों के रूप में मनाया जाता है, तो वहीं राजस्थान में शाही होली का आनंद लेने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते है. आइए जानते हैं देश के अलग-अलग राज्यों में होली किस तरह मनायी जाती है.
उत्तराखंड में होली एक ख़ास तरीके से मनायी जाती है. यहां इस उत्सव पर पुरुष और महिलाएं शहर के चारों तरह घूमती है, होली से जुड़े गाने, झोड़े आदि गाये जाते है और सभी को इस त्योहार की बधाई दी जाती है. मुख्य होली के पांच दिन पहले से ही कुमाऊ में लोग होली मनाने लगते है, इस दौरान हर दिन गावं के कुछ घरों पर दिन के समय महिलाएं होली के गीत और नृत्य करती हैं, तो वहीँ शाम को पुरुषों की खड़ी होली मनायी जाती है.
पंजाब में रंगो के त्योहार होली को होला मोहल्ला के रूप में मनाया जाता है. ये सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब में मनाया जाता है. होली के दौरान आयोजित किया जाने वाला ये मेला पारंपरिक रूप से तीन दिवसीय होता है. इस अवसर को शिख योद्धाओं की बहादुरी और वीरता को श्रद्धांजलि देने के लिए धूम-धाम से मनाया जाता है.
यूपी की लट्ठमार होली न केवल देश बल्कि यह विदेश में भी फेमस है. इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यूपी पहुंचते है. लट्ठमार होली बरसाना, मथुरा, और वृंदावन जैसी जगहों पर मनाई जाती है. इस दौरान महिलाएं डंडो और बेंत का इस्तेमाल करके पुरषो एक साथ होली खेलती है और पुरुष महिलाओं के डंडो से बचने के लिए ढाल का इस्तेमाल करते है. आगरा कानपुर और गोरखपुर में होली के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है और लोग बड़े धूम-धाम से होली मनाते है.
राजस्थान की होली को रॉयल होली के नाम से जाना जाता है. उदयपुर में शाही परिवार की ओर से होली का आयोजन किया जाता है और सभा लोग यहां इकट्ठा होकर होली खेलते है. होली से एक दिन पहले यहां होलिका दहन किया जाता है, जिसे मेवाड़ होलिका दहन के नाम से जाना जाता है.
महाराष्ट्र में होली को रंग पंचमी या शिग्मा के रूप में मनाया जाता है. ये उत्सव होलिका दहन के दिन सूर्यास्त के बाद से मनाया जाता है. लोग शाम से ही एक दूसरे को रंग लगाने लगते हैं, नाचते हैं और मिठाइयों का आनंद लेते है.
केरल में होली को उकुली या मंजल कुली के रूप में मनाया जाता है और ये दो दिवसीय होता है. पहले दिन लोग मंदिर में जाकर पूजा करते है, जबकि दूसरे दिन गुलाल के बजाय हल्दी से एक दूसरे को रंगते है.
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