Holashtak : आज से शुरू होलाष्टक, इन 8 दिनों में भूलकर भी न करें ये कार्य वरना होगा भारी नुकसान

नई दिल्ली: होली का त्योहार बस आने ही वाला है. इस साल होलिका दहन 24 मार्च 2024 को होगा और होली 25 मार्च को मनाई जाएगी. होली फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है. होली से आठ दिन पहले होलाष्टक मनाया जाता है. इस वर्ष होलाष्टक 17 मार्च से शुरू हो […]

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Holashtak : आज से शुरू होलाष्टक, इन 8 दिनों में भूलकर भी न करें ये कार्य वरना होगा भारी नुकसान

Shiwani Mishra

  • March 18, 2024 8:16 am Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली: होली का त्योहार बस आने ही वाला है. इस साल होलिका दहन 24 मार्च 2024 को होगा और होली 25 मार्च को मनाई जाएगी. होली फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है. होली से आठ दिन पहले होलाष्टक मनाया जाता है. इस वर्ष होलाष्टक 17 मार्च से शुरू हो रहा है और 24 मार्च को होलिका दहन तक जारी रहेगा. होलिका दहन के साथ होलाष्टक समाप्त होता है. हिंदू धर्म में होलाष्टक को शुभ नहीं माना जाता है. मान्यता है कि होलाष्टक के 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.

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1. कहा जाता है कि होलाष्टक में कभी भी विवाह, मुंडन, नामकरण, सगाई समेत 16 संस्कार नहीं करने चाहिए.
2. साथ ही इस दौरान नए मकान का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं और न ही गृह प्रवेश करें.
3. होलाष्टक के समय में नए मकान, वाहन, प्लॉट या दूसरे प्रॉपर्टी की खरीदारी से बचना चाहिए.
4. होलाष्टक के समय में कोई भी यज्ञ, हवन आदि कार्यक्रम नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो ये कार्य होली के बाद या उससे पहले कर सकते हैं.
5. साथ ही होलाष्टक के दौरान नौकरी परिवर्तन से बचना चाहिए.
6. यदि नई जॉब ज्वाइन करनी है, तो उसे होलाष्टक के पहले या बाद में करें.
7. साथ ही ये भी कहा जाता है कि होलाष्टक के समय में कोई भी नया बिजनेस शुरू करने से बचना चाहिए, क्योंकि नए बिजनेस की शुरुआत के लिए ये समय अच्छा नहीं माना जाता है.

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पौराणिक मान्यता के मुताबिक कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने फाल्गुन माह की अष्टमी तिथि को प्रेम के देवता कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया. इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव की पूजा की और कामदेव के पुनरुत्थान के लिए प्रार्थना की, और तब भगवान शिव ने रति की प्रार्थना स्वीकार कर ली. बता दें कि महादेव के इस निर्णय के बाद कामदेव पुनर्जीवित हो गये और होलाष्टक समाप्त हो गया, जश्न भी मनाया गया,और इसी समय होली का त्योहार भी प्रारम्भ हुआ.

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