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डूबते सूर्य की भी पूजा करते हैं हिंदू, कौन हैं छठी मैया जिससे इतना जुड़े हैं बिहारी?

डूबते सूर्य की भी पूजा करते हैं हिंदू, कौन हैं छठी मैया जिससे इतना जुड़े हैं बिहारी?

पटना। लोकआस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन आज अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। लोग सूप-दउरा में प्रसाद लेकर छठ घाटों पर पहुंचने लगे हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इस महापर्व में शामिल होने पटना पहुंच गए हैं। रोजी-रोटी के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे बिहार के लोग छठ पूजा में घर लौट कर जरूर आते हैं। छठ आज बिहार ही नहीं बल्कि देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों में मनाई जाने लगी है। क्या आपको मालूम है कि आखिर वो छठी मैया हैं कौन, जिससे बिहारवासियों को इतना लगाव है?

कौन हैं छठी मैया?

दिवाली के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। इसमें लोग छठी मैया की आराधना करते हैं। सूर्यदेव को अर्घ्य देकर उनका आभार जताया है। शादीशुदा महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली और संतान के लिए छठ का व्रत करती हैं। मार्कण्डेय पुराण के मुताबिक सृष्टि की रचना करने वाली प्रकृति देवी ने खुद को 6 हिस्सों में बांटा। इसमें से छठा हिस्सा छठी मईया के नाम से जाना गया। छठी मईया रिश्ते में सूर्यदेव की बहन हैं। यही कारण है कि छठ पूजा में दोनों भाई-बहनों की पूजा की जाती है।

6 दिनों तक नवजात की रक्षा

छठी मैया की महिमा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शिशुओं के जन्म के 6 दिनों तक माता उसके पास रहती है। बच्चे की छठी हो जाने तक वो रक्षा करती हैं। नवरात्रि में षष्ठी तिथि को माता कात्यायनी के रूप में भी इनकी पूजा की जाती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि राजा प्रियव्रत को कुष्ठ रोग हो गया था उन्होंने यह व्रत रखा था। भगवान भास्कर की उपासना करने से वो ठीक हो गए। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के रूप में इसकी चर्चा की गई है। वर्षकृत्यम में भी छठ महापर्व की पूजा की चर्चा है।

 

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