भगवान शिव द्वारा मनुष्य को दिया हुआ अनुपम उपहार है रुद्राक्ष, नियमानुसार धारण करें तो होंगे चमत्कारिक फायदे

भगवान शिव द्वारा धारण किया जाने वाला रुद्राक्ष खुद मनुष्यों के लिए भी भोलेनाथ की कृपा पाने का एक साधन तो है ही साथ ही कई विकारों से मुक्त रखने में सहायक होता है. अगर नियमों के अनुसार रुद्राक्ष को धारण किया जाए तो इसका जल्द ही इसका फल देखने को मिलता है. रुद्राक्ष से जुड़ी पौराणिक कथाएं भी हैं जो उसकी महत्ता को दर्शाती हैं

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भगवान शिव द्वारा मनुष्य को दिया हुआ अनुपम उपहार है रुद्राक्ष, नियमानुसार धारण करें तो होंगे चमत्कारिक फायदे

Aanchal Pandey

  • March 4, 2018 5:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः भगवान शिव ने रुद्राक्ष के रूप में मनुष्य को एक अनुपम उपहार प्रदान किया है. खुद भगवान शिव द्वारा धारण किया जाने वाले रुद्राक्ष के कई फायदे हैं. अगर इसे नियमों के साथ धारण किया जाए तो जल्द ही इसके फायदे नजर भी आने लगते हैं. वैसे तो रुद्राक्ष किसी भी वर्ण जाति का व्यक्ति धारण कर सकता है, लेकिन शास्त्रों में वर्ण के अनुसार, रुद्राक्ष का वर्गीकरण किया गया है.

ब्राह्मणों को श्वेत यानि बादामी रंग का, क्षत्रियों को लाल रंग का, वैश्यों को पीले रंग का तथा शूद्रों को काले रंग का रुद्राक्ष धारण करना श्रेयस्कर होता है. धारण करने के लिए रुद्राक्ष हमेशा सुंदर, सुडौल, चिकना, कांटेदार और प्राकृतिक छिद्र से युक्त होना चाहिए. जो रुद्राक्ष कहीं से टूटा-फूटा और कृत्रिम छिद्र से युक्त हो, ऐसा रुद्राक्ष धारण करने योग्य नहीं माना गया है.

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव के त्रिपुर नामक राक्षस के वध के लिए महाघोर रूपी अघोर अस्त्र का चिंतन किया, तब उनके नेत्रों से आंसुओं की कुछ बूंदें गिरीं, जिनसे रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई. इसी वजह से रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना जाता है. वैसे तो रुद्राक्ष मुख्यतः एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक पाया जाता है, लेकिन कहीं-कहीं बाइस मुखी रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं, जिनको धारण करने का अलग-अलग फल प्राप्त होता है.

रुद्राक्ष धारण करते वक्त ध्यान रखें ये नियम
प्रातः काल पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके आसन पर बैठकर रुद्राक्ष को दूध व गंगाजल से स्नान कराकर व धूपबत्ती दिखाकर शुद्ध कर लेना चाहिए. फिर रुद्राक्ष का पूजन कर लाल धागे या सोने चांदी के तार में पिरोकर शिव प्रतिमा या शिवलिंग से स्पर्श कराकर धारण करना चाहिए. इस पूरी प्रक्रिया में शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए.

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