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Hartalika Teej 2019 Date Calendar: कब है हरतालिका तीज 2019, जानिए पूजा विधि और व्रत कथा

Hartalika Teej 2019 Date Calendar: सुहागन महिलाएं हरतालिका तीज पर अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस साल 1 सितंबर को हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा. हरतालिका तीज पर महिलाएं व्रत रखकर शाम के समय जल और अन्न ग्रहण करती हैं.

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Hartalika Teej 2019 Date Calendar
  • July 9, 2019 1:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. देशभर में 1 सितंबर को हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा. हरतालिका तीज पर अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए सुहागन महिलाएं व्रत रखती हैं. भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की तीज को हरितालिका तीज के रूप में मनाया जाता है. हरतालिका तीज पर महिलाएं व्रत रखकर शाम के समय जल और अन्न ग्रहण करती हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, सबसे पहले माता पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत रखा था जिसके फलस्वरूप उन्हें भोलेनाथ शिव शंकर भगवान पति के रूप में प्राप्त हुए. हालांकि, हरतालिका तीज से जुड़े कुछ नियम भी विशेष तौर पर बताए जाते हैं जिनका इस दिन पालन करना काफी जरूरी माना जाता है.

हरतालिका तीज की पूजा घर में ब्राह्मण द्वारा करा सकते हैं या खुद भी पूजा कर सकते हैं. जानिए क्या हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि-

हरतालिका पूजा के लिए लाल कपड़ा बिछाएं जिसपर शिव जी की मूर्ति या फोटो कुछ रख दें. भगवान के अभिषेक के लिए एक परात रख लें. जिसके बाद सफेद चावल से अष्टकमल बनाकर दीप कलश स्थापिक करें. चौक पूरा कर लें, कलश के ऊपर स्वास्तिक बनां और उसमें जल भरकर सिक्का, सुपारी और हल्दी डाल दें. कलश के ऊपर पान के 5 पत्तों को गुच्छा रखें और चावल भरी कटोरी और एक दीप भी उसके ऊपर रख दें. पान के पत्ते के ऊपर चावल रखकर उस पर गौर और गणेश स्थापित कर लें जिसके बाद पूजा शुरू करें. फिर चावल, दूब और रोली चढ़ाएं. गणपति को दूब पसंद है. सभी भगवानों को दीप कलश का टीका करें जिसके बाद षोडपचार विधि से पूजन करें.

षोडपचार विधि में पहले हाथ जोड़कर बोलें कि हे प्रभु आप हमारी पूजा में जरूर आएं और भगवान को आसन ग्रहण कराएं, फूल और जल चढ़ाएं. हाथ में जल लेकर मंत्र पढ़ें और प्रभु के चरणों में अर्पित करें. 3 बार मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और फिर हाथ धो लें. परात में पानी भरकर शिव जी को स्नना कराएं और साफ कपड़ो से पोछ कर उनका श्रृंगार करें. मौली को वस्त्र के रूप में पहनें और जनेऊ, हार, मालाएं पगड़ी आदि पहन लें. जिसके बाद इत्र छिड़के, चंदन अर्पित करें, फूल, धूप, दीप, पान के पत्ते पर फल, मिठाई और मेवे आदि पर चढ़ाएं. बेलपत्र, शमिपत्री आदि जो भी फूल लेकर आए हैं वो अर्पित करें जिसके बाद हरतालिका तीज की व्रत कथा सुने या पढे़ं.

हरतालिका तीज व्रत कथा

कथा अनुसार, मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया. इस दौरान माता पार्वती ने अन्न का सेवन नहीं किया. काफी समय से सूखे पत्ते चबाकर समय काटा और कई सालों तक पानी भी ग्रहण नहीं किया. पार्वती मां की स्थिति देखकर उनके पिता काफी दुखी थे. इस दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. पिता ने जब माता पार्वती को उनके विवाह की बात बताई जो वे काफी दुखी हो गए और जोर-जोर से विलाप करने लगी.

एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि यह कठोर व्रत शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कह रही है, जबकि उनके पिता माता का विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं. फिर सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गई और वहां एक गुफा में जाकर भगवान शिव की अराधना में लीन हो गईं. भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को मां पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ में स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया. तब माता के कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया.

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