नई दिल्ली, हरियाली तीज शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देश भर में मनाई जाती है, विशेष कर यूपी और बिहार में महिलाएं बढ़-चढ़कर इस पर्व में हिस्सा लेती हैं. यूँ तो तीज नाग पंचमी के दो दिन पहले आती है. इस साल हरियाली तीज का त्यौहार 31 जुलाई 2022, रविवार के दिन मनाया जाएगा, […]
नई दिल्ली, हरियाली तीज शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देश भर में मनाई जाती है, विशेष कर यूपी और बिहार में महिलाएं बढ़-चढ़कर इस पर्व में हिस्सा लेती हैं. यूँ तो तीज नाग पंचमी के दो दिन पहले आती है. इस साल हरियाली तीज का त्यौहार 31 जुलाई 2022, रविवार के दिन मनाया जाएगा, बता दें हरियाली तीज का त्यौहार भगवान शिव व माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है. इस दिन महिलाएं माता पर्वती की पूजा करती हैं और सुखी विवाहित जीवन और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं. इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. इस दौरान व्रत कथा भी पढ़ी जाती है, आइए आज आपको हरियाली तीज की व्रत कथा के बारे में बताते हैं:
भगवान शिव माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण करवाते हुए कहते हैं- हे पार्वती! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठिन तपस्या की थी, तुमने अन्न-जल का त्याग कर सर्दी, गर्मी और बरसात जैसे सभी ऋतुओं का कष्ट सहा और तप किया. यह देखकर तुम्हारे पिताजी पर्वतराज बहुत दुखी थे, एक दिन नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूँ, विष्णुजी आपकी कन्या की तपस्या से प्रसन्न हुए हैं और उनके साथ विवाह करना चाहते हैं, नारद मुनि की ये बात सुनकर पर्वतराज बहुत खुश हुए और उन्होंने नारद जी से कहा कि वे इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं और अपनी पुत्री का विवाह भगवान विष्णु के साथ करवाने को तैयार हो गए, यह सुनते ही नारद मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें सूचित किया.
आगे शिवजी माता पार्वती से कहते हैं, लेकिन तुम्हारे पिता ने जब यह खबर तुम्हें सुनाई तो तुम्हें उतना ही दुख हुआ जितनी तुम्हारे पिता को प्रसन्नता हुई थी, क्योंकि तुम मन से मुझे पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थी. तब तुमने अपने मन की पीड़ा अपनी एक सखी के साथ साझा की. इस पर सखी ने तुम्हें एक घनघोर जंगल में रहने का सुझाव दिया और तुम जंगल चली गई. जंगल में तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए खूब तपस्या की लेकिन जब तुम्हारे लुप्त होने की बात पिता पर्वतराज को पता चली तो वे अत्यंत दुखी और चिंतित हुए, वे सोचने लगे कि यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा.
शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं, तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारी खोज में धरती पाताल एक कर दिया फिर भी तुम उन्हें नहीं मिली. क्योंकि तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करने में लीन थी, तब मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का तुम्हें वचन दिया, पर इसी बीच तुम्हारे पिता भी ढूंढते हुए गुफा तक आ पहुंचे. तुमने अपने पिता को सारी बाते बताई, तुमने पिता को बताया कि तुमने अपना जीवन शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तप में बिताया है और आज तुम्हारी वो तपस्या सफल हो गई है. तुमने पिता से कहा कि मैं आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह शिवजी से करवाएंगे, पर्वतराज मान गए और उन्होंने विधि-विधान से हमारा विवाह करवा दिया.
शिवजी कहते हैं, हे पार्वती! तुमने जो कठोर तप किया है उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हुआ है इसलिए जो स्त्री इस व्रत को निष्ठापूर्वक करती है उसे मैं मनवांछित फल देता हूँ, इस व्रत को करने वाली हर स्त्री को तुम जैसे अचल सुहाग की प्राप्ति हो और वो सदा सुहागन रहे.
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