नई दिल्ली : हिंदू धर्म के अनुसार, महाकुंभ एक विश्वास,आस्था, सौहार्द और संस्कृतियों के मिलन का महापर्व है. देश के कोने कोने से लोग कुंभ में स्नान करने आते हैं. महाकुंभ का आयोजन पिछले कई सालों से होता आ रहा है. इस साल, कुंभ का आयोजन हरिद्वार में 14 जनवरी से आरंभ हो चुका है. हर व्यक्ति चाहता है कि उसे जीवन में कभी न कभी तो कुंभ स्नान का सौभाग्य मिले, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंभ स्नान के कुछ नियम भी हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं. मान्यता है कि अगर आप इन नियमों को तोड़ते हो तो आपको इसका बूरा फल मिलता है. इसलिए भूलकर भी इन नियमों के साथ लापरवाही नहीं करनी चहिए. आइए जानते हैं कि वो नियम कौन से हैं. जिनका ध्यान जरूर रखना चहिए.
स्नान के बाद करें त्याग
महाकुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 साल बाद होता है. इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. मान्यता है कि जब भी कुंभ स्नान के लिए जाएं तो वहां कुछ न कुछ त्याग कर ही आएं. यहां त्याग का अर्थ है कि आप अपनी किसी ऐसी आदत का भी त्याग कर सकते हो जिससे किसी दूसरे का नुकसान होता है, या फिर आपने किसी का दिल दुखाया है तो आप उस चीज को दोबार न करने का भी प्रण ले सकते हो. इसके अलावा कुछ लोग अपने केशों का भी त्याग करते हैं यानी कि मुंडन करवाते हैं.
स्नान से पहले गंगा मां को करें प्रणाम
कुंभ एक विशाल और भव्य आयोजन होता है. ऐसे में अगर आप स्नान के लिए जाते हो तो ध्यान रखें कि सबसे पहले गंगा को प्रणाम करें, फिर पांव गंगा में रखें. इसके अलावा स्नान के बाद आप किसी पंडित को वस्त्र आदि का दान जरूर करें. कहा जाता है कि कुंभ में दान करने से हम पिछले सालों में कमाया हुआ धन दान करते हैं.
गंगा में भूलकर न करें शौच
कुंभ स्नान हो या फिर कोई सामान्य स्नान यह नियम तो हमेशा ध्यान में रखना चहिए. कभी भी किसी भी स्नान के दौरान नदी में समीप शौच, कुल्ला, कंघी करके बाल डालना, जल में गंदगी करना, कपड़े धोना, वस्त्र छोड़ना आदि भूलकर भी न करें. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको स्नान का कोई फल नहीं मिलता बल्कि इसका पाप भुगतना पड़ता है.
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