Happy Krishna Janmashtami: जन्माष्टमी 2019 स्पेशल- अटूट था राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम, 9 साल का साथ बन गया अमर इतिहास

Happy Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण और राधा का पवित्र प्रेम यूंही लोगों के दिलों में जिंदा रहेगा. 9 साल तक राधा को संकेत में बांसुरी सुनाने वाले श्रीकृष्ण ने आखिरी मुलाकात में राधा जी को अपनी बांसुरी सौंप दी. उस दिन के बाद श्रीकृष्ण ने कभी भी बांसुरी नहीं बजाई.

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Happy Krishna Janmashtami: जन्माष्टमी 2019 स्पेशल- अटूट था राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम, 9 साल का साथ बन गया अमर इतिहास

Aanchal Pandey

  • August 22, 2019 3:45 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. राधा और कृष्ण सिर्फ नाम नहीं बल्कि एहसास है उस प्रेम का जो समय के साथ बीत तो गया लेकिन भुलाया नहीं जा सका. प्रेम इतना गहरा कि जब राधा ने श्रीकृष्ण से विवाह न करने का पूछा तो भगवान ने कहा वे उनकी आत्मा है, कोई अपनी आत्मा से कैसे विवाह कर सकता है. यूं तो श्रीकृष्ण ने विवाह रुकमणी, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, भद्रा और लक्ष्मणा से किया लेकिन पहचान हमेशा राधा को मिली. आखिर मिलती भी क्यों नहीं, ये वही तो राधा थीं जो श्रीकृष्ण की बांसुरी सुनकर उनकी भक्ती में लीन हो जातीं.

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जब श्रीकृष्ण और राधा की पहली मुलाकात हुई उस समय वे सिर्फ 1 दिन के थे तो राधा जी 11 माह की. कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर राधा अपनी मां कीर्ति के साथ नंद गांव आई थीं. उस समय श्रीकृष्ण पालने में झूल रहे थे और राधा अपनी मां की गोद से उन्हें निहार रही थीं.

नंद गांव से चार मील दूर बसे बरसाना गांव के बीच संकेट गांव से राधा और कृष्ण की अमर प्रेम कहानी शुरू हुई. इसी जगह पर बाल गोपाल और राधा का लौकिक मिलन हुआ. बरसाना को राधा जी का जन्मस्थल भी कहा गया है.

कृष्ण और राधा का एक दूसरे के बिना जीवन अधुरा था लेकिन नीति में दोनों का अलग होना लिखा जा चुका था. जब श्रीकृष्ण वृंदावन छोड़कर मथुरा चले गए तो राधा जी उन्हें हर पल याद करतीं क्योंकि न राधा उन्हें देख पाती न उन्हें सुन पातीं.

सालों बीत गए और आखिरकार राधा और कृष्ण का कुरुक्षेत्र में पुनर्मिलन हुआ. यहां सूर्यग्रहण के अवसर श्रीकृष्ण द्वारिका और राधा जी वृंदावन से नंद के साथ आई थीं. पुराणों में जिक्र किया गया है कि राधा जी सिर्फ श्रीकृष्ण को देखने और उनसे मिलने ही नंद के साथ कुरुक्षेत्र आई थीं.

श्रीकृष्ण 16 की उम्र के बाद राधा से कभी नहीं मिले. लेकिन राधा के साथ गुजारे 9 साल एक अमर प्रेम कहानी का इतिहास बना गए. मुरली मनोहर को अपनी बांसुरी पर गर्व था. राधा से जुदा होकर उन्होंने अपनी बांसुरी राधा जी को दे दी. और श्रीकृष्ण ने जीवन में फिर कभी बांसुरी नहीं बजाई.

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