Happy Krishna Janmashtami: मीरा तो श्रीकृष्ण थीं, बस लोग उन्हें भक्त कहने लगे

Happy Krishna Janmashtami: देशभर में जन्माष्टमी 2019 का त्योहार का जश्न शुरू हो गया है. मंदिरों में राधा-कृष्ण के नारों की गूंज है. हो भी क्यों न आखिर श्रीकृष्ण के साथ राधा जी का ही नाम लिया जाता है. कृष्ण-राधा की प्रेम कहानी एक अमर इतिहास है, ऐसा ही कृष्ण प्रेम का इतिहास मीरा नाम से भी जुड़ा है. मीरा वो राजपुतानी जिन्होंने दुनिया में सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण को ही अपना मान लिया था.

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Happy Krishna Janmashtami: मीरा तो श्रीकृष्ण थीं, बस लोग उन्हें भक्त कहने लगे

Aanchal Pandey

  • August 23, 2019 1:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरा न कोई, जाके सर मोर-मुकुट, मेरा पति सोई।। भगवान श्रीकृष्ण के लिए मीरा का ये दोहा भक्ती नहीं प्रेम दर्शाता है. लोग मीराबाई को श्रीकृष्ण की भक्त कहते हैं लेकिन सच बोलें वे भक्त थी ही नहीं. भक्त होतीं तो हमेशा के लिए अमर न होतीं. मेवाड़ घराने की राजपुतानी बहु मीरा तो खुद को श्रीकृष्ण का हिस्सा बतातीं. वे तो भगवान को अपने जीवन से ऊपर मान चुकी थीं. इसलिए ही मीरा ने कहा था ”तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई, छाड़ि दई कुलकि कानि कहा करिहै कोई।। यानी इस दुनिया में उनका न कोई पिता है ना ही माता और ना ही भाई, उनके तो सिर्फ गिरधर गोपाल हैं.

कौन थीं भगवान श्रीकृष्ण की दीवानी मीरा बाई
हिंदी की महान कवियित्री मीरा बाई का जन्म जोधपुर के कुड़की गांव में हुआ. बड़ी हुईं तो उनका विवाह उदयपुर के महाराणा कुमार भोजराज के साथ कर दिया गया. लेकिन मीरा तो बचपन में ही श्रीकृष्ण को अपना सबकुछ मान चुकी थीं. जब मीरा तीन साल की थीं तो उनके पिता ने श्रीकृष्ण की मूर्ति मीरा को भेंट स्वरूप दी. धीरे-धीरे मीरा मूर्ति से इतना लगाव कर बैठीं कि बाकी सबकुछ भूल गईं. आलम कुछ ऐसा था कि मीरा खाते और सोते समय भी गिरधर गोपाल की मूर्ति को अपने पास रखतीं.

मीरा की मूर्ति एक बार कहीं गुम गई जिसे लेकर वे इतना परेशान हो गईं कि खाना-पीना तक त्यागकर बेसुध होकर पड़ गईं. कहा जाता है कि मीरा की ऐसी हालत के कुछ समय बाद श्रीकृष्ण की मूर्ति खुद ब खुद उनके सामने प्रकट हो गई. जैसे ही उन्होंने मूर्ति को देखा तो उसे स्नेह करने लगीं. एक बार मीरा के महल से बारात गुजर रही थी तो उन्होंने अपनी माता से पूछा ” मेरा पति कौन है” तो उनकी मां मजाकिया अंदाज में कहा तेरे तो श्रीकृष्ण हैं. बस उसके बाद मीरा ने भगवान को अपना पति मान लिया.

ससुराल में कृष्ण भक्ती का विरोध भी मीरा के लिए कुछ नहीं था
शादी के बाद जब मीरा का अधिकतर समय श्रीकृष्ण की भक्ति में गुजरता तो यह बात उनके ससुराल पक्ष को खाने लगी. ससुराल वाले कहते कि तुम मेवाड़ की महारानी हो इसलिए तुम्हें तो राजवंश की कुल की मर्यादा का ध्यान रखते हुए राजसी ठाठ के साथ सज संवर कर रहना चाहिए. लेकिन कृष्ण भक्ती के आगे मीरा ने उनकी कोई बात नहीं मानी. रिश्ते और ज्यादा तब बिगड़े जब मीरा ने कुल देवी दुर्गा की पूजा से इनकार यह कहते हुए कर दिया कि उनके तो बस गिरधर गोपाल हैं किसी और भगवान की पूजा में उनका मन नहीं लगता.

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