Hanuman Chalisa Earth to Sun Distance: हनुमान चालीसा की रचना सैकड़ों साल पहले गोस्वामी तुलसीदास ने की थी. तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा के एक दोहे के जरिए बताया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच कितनी दूरी है. आइए समझाते इसका गणित.
नई दिल्ली. सैकड़ों साल पूर्व गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की थी. तुलसीदासजी ने उस समय में ही हनुमान चालीसा के द्वारा लोगों को बता दिया था कि पृथ्वी और सूर्य के बीच कितनी दूरी है. मान्यता है कि हनुमान चालीसाके जुग(युग) सहस्त्र जोजन(योजन)पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फाल जानू।। के दोहे में सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी बताई गई है. आईए जानते हैं कैसे.
जुग(युग) सहस्त्र जोजन(योजन)पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फाल जानू।। का अर्थ है हनुमान जी ने सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था. इस दोहे में छिपा गणित आपको समझाते हैं.
12 हजार साल- एक युग
एक सहस्त्र- 1000
एक योजन- 8 मील
युग x सह x योजन= पर भानु
12000 x 1000 x 8 मील= 96000000 मी
शास्त्रों के मुताबिक, 12000 हजार दिव्य वर्ष एक युग में होते हैं. लौकिक युग को चार भाग (त्रेतायुग, सतयुग, द्वापरयुग और कलयुग) में बांटा गया है. लौकिक युग के आधार पर ही कल्प और मन्वंतर की गणना ग्रंथों में की गई है. गणना के मुताबिक, युग शुरु होने के पहले का समय यानी संध्या काल और युग समाप्त होने का समय यानी संध्ययांश के साथ 12 हजार दिव्य साल माने गए हैं.
चार युगों को दिव्य वर्षों की गणना कुछ ऐसे है
सतयुग- 4 हजार दिव्य साल
त्रेतायुग- 3 हजार दिव्य साल
द्वापरयुग- 2 हजार दिव्य साल
कलयुग- 1 हजार दिव्य वर्ष
इस तरह चार युगों के दिव्य वर्षों की संख्या 10 हजार दिव्य वर्ष बैठती है. वहीं चार युगों के संध्या काल के दिव्य वर्षों की सख्या है. 400+300+200+100=1000. वहीं संध्यांश के भी 1 हजार दिव्य वर्ष हैं. सभी युगों के दिव्य वर्षों को जोड़ है 12 हजार दिव्य वर्ष. मनुष्यों के 360 साल एक दिव्य वर्ष माना गया है. अत: चारों युग में 12000 x 360 = 4320000 मनुष्य वर्ष हैं.
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