नई दिल्ली. आज सिख गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि है. गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि को शहीदी दिवस भी कहा जाता है. गुरु तेग बहादुर का जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ था. गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे. तेग बहादुर उन गुरुओं में से एक थे जिन्होंने गुरु नानक के उपदेशों का पालन करते हुए उनके मार्ग का अनुसरण किया. गुरु तेग बहादुर ने हमेशा बलपूर्वक धर्म परिवर्तन का विरोध किया. इसी तरह मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर का सिर कलम करवा दिया.
औरंगजेब ने ऐसा इसीलिए किया क्योंकि गुरु तेग बहादुर ने अपना धर्म बदलने से इंकार कर दिया था. ऐसा कहा जाता है कि गुरु तेग बहादुर के दो बच्चों को भी दीवार में चिनवा दिया गया था. ये घटना दिल्ली के चांदनी चौक की शीशगंज गुरुद्वारा की है. यही मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर का सिर भी कलम किया था. इसीलिए गुरुद्वारा का नाम शीशगंज पड़ा. साथ ही बताया जाता है कि इस गुरुद्वारा में दोनों पोतों की बलपूर्वक बाल कटवाने और दीवार में चिनवाने को लेकर जब उनकी दादी ने दुख और पीड़ा में सिर दीवार में मारा तो दीवार में दरार पड़ गई. ये दरार कई साल गुजर जाने के बाद भी ऐसे ही हैं. आज भी हजारों की भीड़ इस गुरुद्वारा में उमड़ती है.
गुरु तेग बहादुर ने आदि ग्रंथ साहिब और दसम ग्रंथ की रचना की. गुरु तेग बहादुर ने सिख धर्म का न केवल पालन किया बल्कि धर्म का प्रसार प्रचार भी किया. उन्होंने कई राज्यों का भ्रमण कर लोगों को उपदेश दिए. गुरुजी धर्म के सत्य मार्ग पर चलने का उपदेश देते हुए दमदमा साहब से होते हुए कुरुक्षेत्र गए. कुरुक्षेत्र से यमुना किनारे होते हुए कड़ामानकपुर पहुँचे और यहाँ साधु भाई मलूकदास भी गए. इतना ही नहीं असम व उत्तरी पूर्व के कई राज्यों का भ्रमण किया. और सत्य का ज्ञान दिया.
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