नई दिल्ली, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. आज के भौतिकवादी युग में […]
नई दिल्ली, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. आज के भौतिकवादी युग में गुरु के प्रति आस्था में बहुत कमी आई है, जिसके परिणाम स्वरूप जीवन में अशांति, असुरक्षा और मानवीय गुणों का अभाव हो रहा है. गुरु पूर्णिमा के मौके पर वो लोग परेशान होते हैं जिनके कोई गुरु नहीं हैं, वे सोचते हैं वे किसकी पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करें. ऐसे लोगों की चिंता का समाधान तुलसी दास जी ने बहुत पहले ही कर दिया था.
गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित मानस और हनुमान चालीसा की शुरुआत में ही गुरु वंदना की है. उन्होंने कहा है कि अगर किसी का गुरु नहीं है तो वह हनुमान जी को अपना गुरु बना सकता है और उनकी पूजा कर सकता है.
हिंदू पंचांग के मुताबिक गुरु पूर्णिमा इस साल 13 जुलाई को पड़ रही है, 13 जुलाई सुबह चार बजे से गुरु पूर्णिमा शुरू होगी और 14 जुलाई को रात 12 बजकर छह मिनट पर खत्म होगी. गुरु पूर्णिमा पर सुबह से ही इंद्र योग बन रहा है जो कि दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा, वहीं रात 11 बजकर 18 मिनट तक पूर्वाषाढा नक्षत्र रहेगा.
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुजनों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए, इससे मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा और उनका सम्मान करने की परंपरा है, गुरु पूर्णिमा के दिन दान पूर्ण करना भी श्रेष्ठ बहुत श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन दान पुण्य करके व्यक्ति हर तरह के दुखों व कष्टों से मुक्ति पा सकता है.