नई दिल्ली, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. ऐसे करें गुरु की उपासना […]
नई दिल्ली, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को उच्च आसन पर बैठाएं, उनके चरण अच्छे से जल से धोकर पोंछे. फिर उनके चरणों में पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें, इसके बाद उन्हें पीले या सफ़ेद वस्त्र धारण करने के लिए दें. उन्हें फल, मिठाई दक्षिणा करें, इसके बाद गुरु के आशीर्वाद लें.
हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा के दिन दान पुण्य का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष के मुताबिक इस साल गुरु पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है, क्योंकि इस बार गुरु पूर्णिमा पर एक विशेष राज योग बन रहा है, जो कई मायने में महत्वपूर्ण है, आइए जानते हैं कि इस साल गुरु पूर्णिमा क्यों इतनी महत्वपूर्ण है व इसका महत्व क्या है:
हिंदू पंचांग के मुताबिक गुरु पूर्णिमा इस साल 13 जुलाई को पड़ रही है, 13 जुलाई सुबह चार बजे से गुरु पूर्णिमा शुरू होगी और 14 जुलाई को रात 12 बजकर छह मिनट पर खत्म होगी. गुरु पूर्णिमा पर सुबह से ही इंद्र योग बन रहा है जो कि दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा, वहीं रात 11 बजकर 18 मिनट तक पूर्वाषाढा नक्षत्र रहेगा.
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुजनों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए, इससे मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा और उनका सम्मान करने की परंपरा है, गुरु पूर्णिमा के दिन दान पूर्ण करना भी श्रेष्ठ बहुत श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन दान पुण्य करके व्यक्ति हर तरह के दुखों व कष्टों से मुक्ति पा सकता है.
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