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Guru Purnima 2018: 27 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व, इस मंत्र के साथ करें गुरू का पूजन

Guru Purnima 2018 Date: 27 जुलाई को गुरू पूर्णिमा है. आषाढ माह की शुक्ल पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस अवसर पर देशभर में लोग अपने गुरू को आराध्य मानकर पूजन करते हैं. इससे गुरू की कृपा बनी रहती है.

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Guru Purnima 2018
  • July 18, 2018 12:16 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. भारत में गुरू को माता पिता से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है. साल का आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरू के नाम ही अर्पित कर दिया गया है. कबीर दास ने भी कहा है, ‘गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरू आपने, गोविंद दियो बताय’. शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रूप में देशभर में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस बार गुरू पूर्णिमा कई तरह से खास है.

गुरू पूर्णिमा पर गुरू की पूजा का विधान है. इस दिन खास तौर पर महर्षि वेद व्यास की पूजा की जाती है. वेद व्यास को शास्त्रों में आदि गुरू कहकर संबोधित किया गया है. गुरू को पूजने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. सतयुग से लेकर द्वापर युग, त्रेतायुग व कलियुग में भी गुरु को पूजने की परंपरा रही है. महर्षि वेद व्यास को गुरूओं में सबसे बड़ा दर्जा प्राप्त है.

प्राचीन काल में शिक्षा दीक्षा के लिए गुरूकुल होते थे. छात्र वहीं शिक्षा ग्रहण करते थे और गुरू की सेवा करते थे. एक दिन गुरू के लिए निर्धारित था जिसमें वे अपनी श्रद्धानुसार व सेवाभाग प्रकट करने के लिए गुरू को दक्षिणा आदि देते थे. भले ही अब गुरूकुल पहले की माफिक नहीं हैं लेकिन गुरू को सम्मान देने की परंपरा आज भी जारी है.

गुरु पूर्णिमा पर सर्वप्रथम वेद व्यास की पूजा होती है. इसके बाद अपने गुरु की पूजा की जाती है. आज के दौर में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान कई गुरू बदल जाते हैं. ऐसे में लोग जिन्हें सबसे ज्यादा मानते हैं उनकी पूजा करते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं. गुरू के रूप में शिक्षा देने वाले अध्यापक के अलावा माता-पिता और भाई-बहन को भी माना जा सकता है.

गुरू पूर्णिमा की पूजा विधि-
गुरु पूर्णिमा की सुबह जल्दी सोकर जागें. सुबह उठने के बाद घर की सफाई करें और स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद जो भी गुरु आपके करीबी रहे हों उन्हें वस्त्र, फल-फूल, माला और दक्षिणा अर्पित कर उनका आशीर्वाद लें. इसके बाद इस गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये…. मंत्र का जाप कर पूजन करें और गुरू का सम्मान करने का संकल्प लें.

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