नई दिल्ली, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त […]
नई दिल्ली, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 13 जुलाई सुबह 4 बजे से शुरू हो चुका है और ये 14 जुलाई की रात 12 बजकर 6 मिनट तक रहेगा.
गुरु पूर्णिमा के दिन अगर आपके घर में अशांति है, नौकरी और कारोबार में दिक्कत है तो आप ये उपाय ज़रूर करें:
अगर आपके घर में अशांति है तो घर के नार्थ ईस्ट कोने में घी का दीपक जलाएं, और इसमें हल्दी मिला दें ताकि आपके घर में खुशहाली आए.
अगर आपके नौकरी में बाधा आ रही है या तरक्की नहीं हो पा रही है तो आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें, भगवान को नारियल, पीले फल और पीली मिठाई का भोग लगाएं. ध्यान रखें कि पूजन सामग्री में तुलसी का पत्ता ज़रूर रखें, भोग लगाने के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और प्रार्थना करें, इसके बाद ये प्रशाद गरीबों में बाँट दें.
अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं या आपकी परीक्षा आने वाले है तो गुरु पूर्णिमा के दिन अपनी किताब के पहले पेज पर लाल रोली से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. इसके बाद इसपर अपनी इच्छा लिखकर इस किताब को मां सरस्वती के पास रख दें.
इस दिन एक खाली सफेद कागज लें और उसमें लाल रोली से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं, इसमें नीचे अपनी इच्छा लिख दें. इसके बाद इसे पीले रंग के धागे से बांध कर अपने लॉकर में रखें, फिर मां सरस्वती से पूजा करें कि वह आपकी इच्छा को पूर्ण करें.
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