गुरु मंत्र: इन उपायों से जाने आस्था और अंधविश्वास के बीच का अंतर
गुरु मंत्र: इंडिया न्यूज के खास शो गुरु मंत्र में आज गुरुदेव जीडी वशिष्ट ने आस्था और अंधविश्वास से जुड़े अंतर के बारें में बताया. आस्था जैसे एक सकारात्मक शब्द है वैसे ही अंधविश्वास एक बुरी बला है. किसी की बातों में आ जाना या दूसरों के बारें में बुराई करते हुए आपके कान भरना भी अंधविश्वास में आता है. लेकिन इस बीच आस्था ही आपको इस अंधविश्वास से बचा सकती है. भगवान पर अपनी पूर्ण आस्था बनाए रखने से आप इस अंधविश्वास से कोसों दूर रहेंगे.
August 22, 2018 4:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago
नई दिल्ली. इंडिया न्यूज के खास शो गुरु मंत्र में आज गुरुदेव जीडी वशिष्ट ने अन्धविश्वास के अभिशाप से समाज को कैसे बचाया जा सकता है इसके बारे में बताया. इसके अलावा आस्था , अंधविश्वास में कब और कैसे बदल जाती है, अंधविश्वास के नाम पर हो रहे कारोबार को कैसे पहचान सकते हैं इस बारे में भी गुरुदेव ने शो में बताया. आस्था और अंधविश्वास में अंतर करना काफी सरल है. आस्था एक साकारात्मक शब्द है.
किसी भी चीज को पॉजिटिव तरीके से सोचना, जहां आपको अपनों के साथ रहने का सलीका सिखाया जाता हो, आपके लिए अच्छा क्या है, क्या बुरा है, अपनापन जहां से आपको मिल रहा है वहां आपकी आस्था जुड़ी होती है. यही आस्था आपको एक संपूर्ण इंसान बनाती है जो जीवन में आपको सही मार्गदर्शन कराता है. लेकिन आस्था के साथ अंधविश्वास नहीं होना चाहिए.
किसी ऐसे रिश्ते पर भरोसा कर लेना जो अपने स्वार्थ के लिए आपका इस्तेमाल करे या फिर अपना समय पार करने के लिए आपके साथ बेकार की बाते कर दूसरों के खिलाफ आपकी आंखों पर बुराई का पर्दा चढ़ाता है इसे अंधविश्वास कहते है. अंधविश्वास के नाम पर हो रहे कारोबार को पहचान पाना भी मुश्किल है. इसके लिए आपके लिए जरुरी है किसी भी ऐसे काम करने से बचे या फिर किसी ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचे जो आपको गलत राह पर ले जाए. उनपर आंख बंद कर भरोसा करना भी आपको अंधविश्वास की ओर ढकेल देता है. इससे बचन के लिए या तो आप उन लोगों से दूरी बनाए रखे या फिर भगवान पर अपनी पूरी आस्था बनाए रखें.