गुप्त नवरात्रि 2018: मां भगवती के नौ रूपों की पूजा माघ के गुप्त नवरात्रि में की जाती है. गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आते हैं माघ और आषाढ़. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का ध्यान किया जाता है. गुप्त नवरात्रि का महत्व को बताते हुए एस्ट्रोलॉजर और टैरोलॉजर नदिंता पांडे ने कई उपाय और मंत्रों के बारे में बताया. माघ व आषाढ़ नवरात्रि में महाविद्याओं का उच्चारण का खास ध्यान देना चाहिए. क्योंकि 10 महाविद्याओं का उच्चाराण काफी सेंसिटिव होता है. श्री यंत्र की उपासना भी गुप्त नवरात्रि में अवश्य करना चाहिए.
नई दिल्ली. आमतौर पर साल में दो बार नवरात्रि आते हैं. बसंत नवरात्रि और शरद नवरात्रि. लेकिन इन दो नवरात्रि के अलावा भी दो और नवरात्रि होते हैं. इन दो नवरात्रि के अलावा एक माघ के गुप्त नवरात्रि और दूसरा आषाढ़ गुप्त नवरात्रि होते हैं. आज नंदिता पांडे बताने जा रही है कि इन गुप्त नवरात्रि का क्या महत्व होता है. गुप्त नवरात्रि 18 जनवरी से 26 जनवरी तक हैं. एस्ट्रोलॉजर और टैरोलॉजर नंदिता पांडे के अनुसार अगर गुप्त नवरात्रि में देवी मां का 10 महाविद्याओं की पूजा अर्चना इन नवरात्रि में किया जाता है. इन नवरात्रि में पूजा पाठ करने से अंदरुनी शक्ति जागृत होती है. माघ व आषाढ़ नवरात्रि में महाविद्याओं का उच्चारण का खास ध्यान देना चाहिए. क्योंकि 10 महाविद्याओं का उच्चाराण काफी सेंसिटिव होता है. श्री यंत्र की उपासना भी गुप्त नवरात्रि में अवश्य करना चाहिए.
कहा जाता है सती जब अपने पिता के यज्ञ में जा रही थी तब भगवान शिव ने मां सती को जाने से माना किया जिसके बाद सती को क्रोध आया और उसके बाद सती ने अपना विकारल रूप दिखाया. सती ने कहा मैं पराशक्ति हूं. इसके बाद सती ने 10 महाविद्याओं का एक विकराल रूप दिखाया. तब भगवान शिव को सती के विकराल रूप का पता चला. यहीं से महाविद्याओं की उत्पति होती है.
पहला दिन- मां काली- गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा के दौरान उत्तर दिशा की ओर मुंह करके काली हकीक माला से पूजा करनी है. इस दिन काली माता के साथ आप भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से आपकी किस्मत चमक जाएगी. शनि के प्रकोप से भी छुटकारा मिल जाएगा. नवरात्रि में पहले दिन दिन मां काली को अर्पित होते हैं वहीं बीच के तीन दिन मां लक्ष्मी को अर्पित होते हैं और अंत के तीन दिन मां सरस्वति को अर्पित होते हैं.
मां काली की पूजा में मंत्रों का उच्चारण करना है.
मंत्र- क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा..
ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा
दूसरी महाविद्या- मां तारा- दूसरे दिन मां तारा की पूजा की जाती है. इस पूजा को बुद्धि और संतान के लिये किया जाता है. इस दिन एमसथिस्ट व नीले रंग की माला का जप करने हैं.
मंत्र- ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट
तीसरी महाविद्या- मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी पूजा- अच्छे व्यक्ति व निखरे हुए रूप के लिये इस दिन मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा की जाती है. इस दिन बुध ग्रह के लिये पूजा की जाती है. इस दिन रूद्राक्ष की माला का जप करना चाहिए.
मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:
चौथी महाविद्या- मां भुवनेश्वरी पूजा- इस दिन मोक्ष और दान के लिए पूजा की जाती है. इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करना काफी शुभ होगा. चंद्रमा ग्रह संबंधी परेशानी के लिये इस पूजा की जाती है.
मंत्र- ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:
ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:
पांचवी महाविद्या- माँ छिन्नमस्ता- नवरात्रि के पांचवे दिन माँ छिन्नमस्ता की पूजा होती है. इस दिन पूजा करने से शत्रुओं और रोगों का नाश होता है. इस दिन रूद्राक्ष माला का जप करना चाहिए. अगर किसी का वशीकरण करना है तो उस दौरान इस पूजा करना होता है. राहू से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा मिलता है. इस दिन मां को पलाश के फूल चढ़ाएं.
मंत्र- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा
छठी महाविद्या- मां त्रिपुर भैरवी पूजा- इस दिन नजर दोष व भूत प्रेत संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए पूजा करनी होती है. मूंगे की माला से पूजा करें. मां के साथ बालभद्र की पूजा करना और भी शुभ होगा. इस दिन जन्मकुंडली में लगन में अगर कोई दोष है तो वो सभ दूर होता है.
मंत्र- ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा
सांतवी महाविद्या- मां धूमावती पूजा- इस दिन पूजा करने से द्ररिता का नाश होता है. इस दिन हकीक की माला का पूजा करें.
मंत्र- धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा
आंठवी महाविद्या- मां बगलामुखी- माँ बगलामुखी की पूजा करने से कोर्ट-कचहरी और नौकरी संबंधी परेशानी दूर हो जाती है. इस दिन पीले कपड़े पहन कर हल्दी माला का जप करना है. अगर आप की कुंडली में मंगल संबंधी कोई परेशानी है तो मा बगलामुखी की कृपा जल्द ठीक हो जाएगा.
मंत्र-ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा
नौवीं महाविद्या- मां मतांगी- मां मतांगी की पूजा धरती की ओर और मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुंह करके पूजा करनी चाहिए. इस दिन पूजा करने से प्रेम संबंधी परेशानी का नाश होता है. बुद्धि संबंधी के लिये भी मां मातंगी पूजा की जाती है.
मंत्र- क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा..
दंसवी महाविद्या- मां कमला- मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए. दरअसल गुप्त नवरात्रि के नौंवे दिन दो देवियों की पूजा करनी होती है.
मंत्र- क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा
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