नई दिल्ली. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकम तिथि के साथ गुप्त नवरात्रि आरंभ होते हैं. साल दो बार गुप्त नवरात्रि आते हैं. गुप्त नवरात्रि में तंत्र मंत्र विद्या की पूजा के लिए किए जाते हैं. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकम तिथि के साथ 13 जुलाई को गुप्त नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं. पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. इस योग को अध्यात्मिक रूप से काफी अहम माना जाता है.
गुप्त नवरात्रि में मां भगवती के गुप्त स्वरूप यानी काली माता की गुप्त रूप से अराधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि में 9 दिनों तक उपवास करने का विधान बताया गया है. गुप्त नवरात्रि में भी शारदीय नवरात्रि की तरह घटस्थापना की जाती है. घटस्थापना विशेष मुहूर्त के अनुसार किया जाता है. इसी दौरान माता रानी की प्रतिमा स्थापित की जाती है. शारदीय नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है उसी तरह गुप्त नवरात्रों में 10 महाविधाओं की साधना होती है.
साधारण नवरात्रों और गुप्त नवरात्रों में सबसे अहम पूजा का समय यानि शुभ मुहूर्त होता है. गुप्त नवरात्रि में पूजा सुबह नहीं बल्कि रात को की जाती है. इन नौ दिनों में तांत्रिक शक्तियों को बढ़ाने के लिए अर्चना पूजन किया जाता है. गुप्त नवरात्रि में अंतिम नवरात्रि वाले दिन पूजा पाठ करने के बाद अष्टमी और नंवमी के दिन कन्याओं को भोज करवाते हैं और कन्याओं का आर्शीवाद लेकर पूजा सफल करते हैं.
गुप्त नवरात्रि पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय
सुबह 7.49 से 10.01 बजे तक
दिन 2.27 से 4.44 बजे तक
रात 8.36 से 10.09 बजे तक
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