Gudi Padwa : कब है गुड़ी पड़वा का त्योहार , जानें इसके पूजा विधि और मुहूर्त

नई दिल्ली: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. महाराष्ट्र में मुख्य रूप से हिंदू नव वर्ष जिसे नव-सवंत्सर भी कहा जाता है, गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि गुड़ी पड़वा को भारत के दक्षिणी राज्यों […]

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Gudi Padwa : कब है गुड़ी पड़वा का त्योहार , जानें इसके पूजा विधि और मुहूर्त

Shiwani Mishra

  • April 7, 2024 11:56 am Asia/KolkataIST, Updated 7 months ago

नई दिल्ली: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. महाराष्ट्र में मुख्य रूप से हिंदू नव वर्ष जिसे नव-सवंत्सर भी कहा जाता है, गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि गुड़ी पड़वा को भारत के दक्षिणी राज्यों में उगादि के नाम से भी जाना जाता है. गुड़ी पड़वा 2 शब्दों से मिलकर बना है.

Gudi Padwa

Gudi Padwa

गुड़ी शब्द का अर्थ है विजय पताका और पड़वा का अर्थ है प्रतिपदा की तिथि से गुड़ी पड़वा के अवसर पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन लोग अपने घरों में गुड़ी को विजय पताका के रूप में सजाते हैं और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा मनाने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है और घर से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है. तो आइए जाने की गुड़ी पड़वा का त्योहार कैसे मनाया जाता है.

गुड़ी पड़वा पूजा विधि

अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस बार गुड़ी पड़वा त्योहार 9 अप्रैल 2024 को होगा. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान के बाद घर में एक सुंदर गुड़ी स्थापित की जाती है और विजय के प्रतीक के रूप में उसकी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इससे आपके घर से नकारात्मक तत्व दूर हो जाते हैं और आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. ये त्यौहार कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है. गुड़ी पाडू का दिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है. इस दिन श्रीखंड, पूरनपोली और खीर जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं.

ऐसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का त्योहार

gudi padwa-mobile

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गुड़ी पड़वा पर लोग अपने घरों की सफाई करके मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है और आम या अशोक के पत्तों से अपने घर में तोरण बांधते हैं। घर के आगे एक झंडा लगाया जाता है और इसके अलावा एक बर्तन पर स्वस्तिक बनाकर उस पर रेशम का कपड़ा लपेट कर रखा जाता है। इस दिन सूर्यदेव की आराधना के साथ ही सुंदरकांड,रामरक्षास्रोत और देवी भगवती की पूजा एवं मंत्रों का जप किया जाता है। अच्छे स्वास्थ्य की कामना से नीम की कोपल गुड़ के साथ खाई जाती हैं।

गुड़ी पड़वा मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि आरंभ- 08 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर.
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 09 अप्रैल 2024 को रात 08 बजकर 30 मिनट पर.

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