Gudi Padwa 2018: इस खास वजह से मनाया जाता है गुड़ी पड़वा, जानिए इसका महत्व

Ugadi 2018, Gudi Padwa 2018 : महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा 18 मार्च को चैत्र मास की शुक्‍ल प्रतिपदा के साथ मनाया जाएगा. इस त्यौहार का यहां खास महत्व होता है. इस दिन से ही हिन्‍दू नववर्ष की शुरुआत होती है. गुड़ पड़वा त्यौहार को हिन्दू नववर्ष, वर्ष प्रतिपदा, उगादि, नवसंवत्सर और युगादि आदि नाम से भी पुकारा जाता है.

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Gudi Padwa 2018: इस खास वजह से मनाया जाता है गुड़ी पड़वा, जानिए इसका महत्व

Aanchal Pandey

  • March 16, 2018 1:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुडी पड़वा का त्योहार महाराष्ट्र एवं कोंकण में धूम धाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में नव वर्ष के रूप में मनाया जाने वाला यह त्योहार, प्रकृति के करीब और लेकर जाता है. इस वर्ष यह त्योहार 18 मार्च 2018 को पड़ रहा है. यह त्योहार उल्लास का दिन है, वसंत का दिन है एवं माना जाता है की इसी दिन ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की थी एवं इसीलिए इस दिन से विक्रम संवत्सर की भी शुरुआत हुई थी. इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ ख़ुशी ख़ुशी मनाया जाता है.

प्रातः काल से ही महिलायीं घर आंगन को रंगोली से सजाती हैं. एक गुड़ी को भी सजाया जाता है. गुड़ी यानी की ध्वज को घरों में लहराया जाता है. पड़वा एक संस्कृत शब्द है किसका अर्थ प्रतिपदा या प्रथम तिथि होता है. गुड़ी पड़वा का मतलब वर्ष के प्रथम दिन यानी की प्रतिपदा को लहराया जाने वाला ध्वज. बांस के एक डंडे में ऊपर की तरफ एक सुंदर लहराता कपड़ा बांधा जाता है. उसके ऊपर इस ध्वज को फूलों द्वारा, नीम की पत्तियों से, आम के पत्तों से सजाया जाता है. फिर अंत में ऊपर की तरफ़ एक मटकी ताम्बे की या पीतल की या फिर मिट्टी की मटकी को उलटा रखा जाता है.

इस दिन कई तरह के पकवान बनते हैं विशेषकर ऐसी मिठाई जिसमें नीम की पत्तियों का एवं इमली का भी मिश्रण हो. यह ज़िन्दगी में आने वाले कड़वे -खट्टे- मीठे अनुभवोंन का द्योतक है. लोग नए वस्त्र पहन कर, झूमते नाचते गाते, गली गली घूमते हैं एवं एक दूसरे का आनंदपूर्वक अभिनंदन करते हैं एवं गांव के मुख्य शिव मंदिर में जा कर गुड़ी स्थापित करते हैं. एक दूसरे को फूल एवं मिठाई बांटी जाती है एवं नव वर्ष में फलने फूलने की मंगलकामना की जाती है. कोंकण क्षेत्र में इसे संवत्सर पड़वो या युगादि के नाम से पुकारा जाता है. कर्नाटक, तमिल क्षेत्रों में भी इस नव वर्ष को उगदी के नाम से भी पुकारा जाता है.

नन्दिता पाण्डेय,
ऐस्ट्रो-टैरोलोजर , आध्यात्मिक गुरु
email : soch.345@gmail.com,
website : www.nanditapandey.biz

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