नई दिल्ली: 30 मार्च से शुरू हुआ चैत्र नवरात्रि का पर्व देशभर बड़ी आस्था के साथ मनाया जा रहा है. वहीं चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार, मां कात्यायनी को शक्ति और विजय की देवी माना जाता है। इनकी सवारी शेर है और वे चार भुजाओं वाली हैं। साथ ही मां कात्यायनी सिर पर सदैव मुकुट सुशोभित रहता है। आइए जानते हैं कि पूजन विधि और मंत्र
मां कात्यायनी का महत्व
ऐसा माना जाता है कि अगर विधिपूर्वक मां कात्यायनी की पूजा की जाए तो विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। यह देवी सफलता और यश की प्रतीक मानी जाती हैं।
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:56 से 05:43 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:51 से 07:14 तक
निशिता मुहूर्त: रात 12:17 से 01:03 तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:52 से 12:48 तक
पूजा विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- पीले रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि यह रंग मां को प्रिय है।
- घर के मंदिर में बैठकर मां कात्यायनी का ध्यान करें।
- पूजा में पीले फूल, धूप, रोली, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाकर मां की आरती करें।
- मां को पीला हलवा, पीले मिष्ठान और शहद का भोग लगाएं।
- मां के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लें।
मां का प्रिय भोग
पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर से युद्ध के दौरान मां कात्यायनी ने शहद युक्त पान ग्रहण किया था। इसलिए उनकी पूजा में शहदयुक्त पान का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
मां कात्यायनी के मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:”
“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।”
ये भी पढ़ें: चैत्र नवरात्रि के 5वें दिन करें स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजा विधि और महत्त्व