November 2, 2024
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ईश्वर या मियां फकीर, कौन थे साई बाबा, क्यों मंदिरों से हटाई जा रही उनकी मूर्तियां?

ईश्वर या मियां फकीर, कौन थे साई बाबा, क्यों मंदिरों से हटाई जा रही उनकी मूर्तियां?

  • WRITTEN BY: Neha Singh
  • LAST UPDATED : November 2, 2024, 9:25 am IST
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नई दिल्लीः शिरडी साईं बाबा के भक्त देश के कोने-कोने में हैं। महाराष्ट्र के शिरडी में उनका  सबसे बड़ा मंदिर है, जहां हर दिन बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। देश के कई हिंदू मंदिरों में भी साईं बाबा की मूर्तियां मौजूद हैं। साई बाबा के धर्म के पर हमेशा से बहस चलती आ रही है, लेकिन अब इस पर विवाद छिड़ गया है। दरअसल, वाराणसी के कई हिंदू मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जा रही हैं।

इससे पहले भी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं पूजा का विरोध किया था। उनका तर्क था कि साईं बाबा की पूजा महात्मा के तौर पर की जा सकती है, लेकिन परमात्मा के तौर पर नहीं। आज हम आपको साईं बाबा के जीवन से जुड़ी कुझ अहम बातें बताएंगे।

कैसा था साईं बाबा का जीवन

साईं बाबा का जन्म कहां हुआ, उनके माता-पिता कौन थे, यह कोई नहीं जानता क्योंकि साईं बाबा ने कभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। केवल एक बार किसी भक्त के आग्रह पर उन्होंने बताया कि उनका जन्म 28 सितंबर 1836 को हुआ था। इसलिए हर साल 28 सितंबर को उनके अनुयायी साईं बाबा का जन्मदिन मनाते हैं। साईं बाबा के असली नाम को लेकर काफी भ्रम है। कहीं उनका नाम चांद मियां बताया जाता है तो कुछ लोग उन्हें हिंदू मानते थे।

साईं बाबा ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा एक पुरानी मस्जिद में बिताया जिसे वे द्वारका माई कहते थे। साथ ही साईं बाबा की वेशभूषा ऐसी थी कि लोग उन्हें मुसलमान समझते थे। वहीं द्वारका के प्रति उनके प्रेम और भक्ति के कारण कुछ लोग उन्हें हिंदू मानते हैं। हालांकि, साईं बाबा ने जाति, धर्म से परे सभी की सेवा की।

भगवान का अवतार हैं साईं?

साईं बाबा को एक फकीर माना जाता है, जो ज्यादातर समय ध्यान में लीन रहते थे और  मांगकर अपना पेट भरते थे। लेकिन समय बीतने के साथ जब उन्होंने अपने चमत्कार दिखाए तो लोगों को एहसास हुआ कि वे भगवान का ही अंश हैं। इसीलिए कुछ लोग साईं बाबा को भगवान दत्तादत्रेय मानते हैं तो कुछ लोग उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। इसके अलावा साईं बाबा को कई अन्य देवताओं का अवतार भी माना जाता था।

मंदिर में क्यों नहीं की जा सकती पूजा?

हाल फिलहाल की बात करें तो सनातन रक्षक दल का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार किसी भी मंदिर में मृत लोगों की मूर्ति स्थापित करना और उनकी पूजा करना वर्जित है। हिंदू मंदिरों में केवल पंच देवों- सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति और गणपति की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा की जा सकती है।

यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है InKhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है

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