नई दिल्ली : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही गीता जंयती मनाई जाती है. इस साल गीता जयंती 25 दिसंबर यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी. सनातन धर्म मे गीता जयंती का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है. मना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इसलिए आज के दिन गीता पढ़ने और सुनने का महत्व बताया गया है.
गीता जयंती का शुभ महुर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 दिसंबर रात्रि 11:17
एकादशी तिथि समाप्त: 26 दिसंबर, प्रात:काल 01:54
गीता जयंती का महत्व
पुराणो के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कौरवों और पांडवों के युद्ध के समय अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. जिसके बाद अर्जुन ने धर्म की रक्षा के लिए कौरवों से युद्ध किया था. गीता बता दें कि श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. इनमें जीवन से जुड़े सभी प्रश्नों के उत्तर मौजूद हैं. साथ ही कर्म, धर्म, जन्म, मृत्यु, सत्य, असत्य सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसी की मदद से पांडवों ने कौरवो से महाभारत में जीत हासिल की थी. इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है.
गीता जयंती की पूजाविधि
गीता जयंती के दिन सबसे पहले सुबह उठकर साफ पानी से स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करा कर साफ चौकी पर विराजमान करें. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और भगवद गीता को रोली और अक्षत से तिलक करें. साथ ही भगवान श्री कृष्ण की धूप, दीप से आरती करें. इसके अलावा इस दिन माता लक्ष्मी जी की भी आरती करने से भी लाभ प्राप्त होता है.
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