नई दिल्ली: कार्तिक माह को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। कार्तिक माह में दीपदान का भी खास महत्व होता है, जिसे धार्मिक नियमों के अनुसार करना चाहिए। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल होता है कि दीपक घी का जलाएं या तेल का? आइए, जानते हैं इस विषय से जुड़े नियम और मान्यताएं।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, घी का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। खासतौर पर गाय के शुद्ध घी से बना दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण शुद्ध होता है। घी का दीपक भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि घी के दीपक से जलने वाली लौ अत्यंत शुद्ध और तेज होती है, जो नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है और सुख-समृद्धि लाती है।
तेल का दीपक भी पूजा के समय उपयोग में लाया जाता है, खासकर जब लगातार लंबी अवधि के लिए दीप जलाना हो। तिल के तेल का दीपक विशेष रूप से कार्तिक माह में शुभ माना गया है। तिल का तेल काले रंग का होता है और इसे जलाने से दोषों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि अगर कोई घी उपलब्ध नहीं है, तो तिल के तेल का दीपक जलाने से भी भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
– सुबह की पूजा: सुबह के समय गाय के घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और दिन की शुरुआत को मंगलमय बनाता है।
– शाम की पूजा: शाम के समय तिल के तेल का दीपक जलाना अधिक लाभकारी होता है, विशेष रूप से जब यह कार्तिक माह की पूजा हो। तिल के तेल का दीपक जलाने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में शांति और समृद्धि का वास होता है।
– दीपक हमेशा शुद्ध स्थान पर जलाया जाना चाहिए।
– दीपक जलाते समय उसका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
– दीपक जलाने से पहले उसकी बाती को सही ढंग से लगाएं और ध्यान रखें कि बाती शुद्ध कपास की हो।
– दीपक जलाने के बाद उसे बिना बुझाए खुद से जलने दें, दीपक को फूंक मारकर बुझाना अशुभ माना जाता है।
कार्तिक माह को दीपों का महीना कहा जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। दीप जलाकर पूजा करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। मान्यता है कि कार्तिक माह में घी या तेल का दीपक जलाकर व्रत रखने से जन्म-जन्मांतर के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
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