अध्यात्म

Geeta Jayanti 2023: गीता जयंती क्यों है माजत्वपूर्ण, जाने इतिहास, विधि और अनुष्ठान

नई दिल्ली: कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि पर श्रीकृष्ण(Geeta Jayanti 2023) ने महाभारत में अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, उसे गीता ज्ञान और कृष्ण-अर्जुन का संवाद भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया, उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। यही कारण है कि इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल गीता जयंती 22(शुक्रवार) दिसंबर 2023 को है। बता दें कि इस वर्ष गीता की 5160वीं वर्षगांठ हैं।

भगवद गीता जयंती का इतिहास

जानकारी दे दें कि द्वापर युग में गीता जयंती वह शुभ दिन था जब भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने अपने मित्र और साथी अर्जुन को गीता का ज्ञान देकर कुरुक्षेत्र(Geeta Jayanti 2023) के युद्धक्षेत्र से वापस आने के लिए कहा था। तब से हिंदू समुदाय ने श्रीमद्भगवद गीता को सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है। श्रीमद्भगवदगीता के अनुसार, भगवान कृष्ण की शिक्षाओं ने मानवता को एक नई राह दी है। और मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जायेगी।

गीता जयंती 2023 की तिथि-

गीता जयंती: शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

गीता जयंती का समय-

एकादशी तिथि प्रारंभ- 22 दिसंबर 2023 – रात्रि 08:16 बजे
एकादशी तिथि समाप्त- 23 दिसंबर 2023 – सुबह 07:11 बजे

जयंती पूजा विधि

शास्त्रों के मुताबिक मोक्षदा जयंती के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण, महर्षि वेदव्यास और श्रीमद्भगवदगीता की पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं।

  • एकादशी व्रत से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को दोपहर में सिर्फ एक बार भोजन करना होता है और याद रखें कि दशमी के दिन रात्रि में कुछ भी भोजन न करके व्रत का संकल्प लें।
  • एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और व्रत करें।
  • एकादशी के दिन व्रत रख कर भगवान कृष्ण की पूजा करें और उन्हें धूप, नैवेद्य, दीया आदि अर्पित करें।
  • एकादशी की रात्रि में आपको भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और जागरण का विधान करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन जरूरतमंदों की सेवा करें या दान दें।

गीता जयंती के अनुष्ठान

  • इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है जिसमें विशेष प्रार्थनाओं के साथ पूजा करना शामिल है।
  • इस दिन, भारत और विदेश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु कुरुक्षेत्र जाकर पवित्र कुंडों में स्नान करते हैं।
    पवित्र स्नान के अलावा, भगवान कृष्ण की पूजा घर पर की जाने वाली आरती के साथ समाप्त हो सकती है।
  • इस दिन उपवास करने वाले भक्त चावल, गेहूं या जौ जैसे अनाज न खाएं।
  • गीता जयंती के दिन आज के युवाओं को गीता समझाकर धर्म का महत्व सिखाने के लिए कई योजनाबद्ध समारोह आयोजित किए गए।

जानें गीता पढ़ने के नियम

गीता का पाठ करने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है। इस समय मन, मस्तिष्क और वातारण शुद्ध, शांतिमय और सकारात्मक होता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि गीता पाठ हमेशा स्नान करने या शुद्ध अवस्था में ही करें। साथ ही पढ़ते समय बार-बार न उठें और ना ही अपना ध्यान इधर-उधर भटकाएं। हमेशा साफ जमीन पर आसन बिछाकर ही गीता पढें। प्रत्येक अध्याय शुरू करने के पूर्व श्रीकृष्ण और गीता के चरण कमलों को स्पर्श करें।

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Janhvi Srivastav

मैं जान्हवी श्रीवास्तव, मैंने अपना ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी और मास्टर्स माखनलाल यूनिवर्सिटी भोपाल से किया है। मुझे प्रिंट और सोशल मीडिया का अनुभव है, अभी मैं इंडिया न्यूज़ के डिजिटल प्लेटफार्म "इनखबर" में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर हूं।

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