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गीता जयंती 2017: ऐसे हुई श्रीमद्भगवद् गीता की उत्पत्ति,यह है महत्व

श्रीमद्भगवद् गीता विश्व में इकलौता ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है. युद्ध के समय अपने परिवार को सामने देख मोह में फंसे अर्जुन को मार्ग दिखाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था

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geeta jayanti
  • November 29, 2017 11:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः हिन्दू धर्म में वैसे तो प्रत्येक एकादशी का बहुत महत्व होता है लेकिन मार्गशीर्ष शुल्क एकादशी की अपनी अलग ही महत्ता है. इसी दिन द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इसी वजह इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है. इस साल गीता जयंती कल यानी 30 नवंबर को पड़ रही है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने मुख से गीता का जन्म कुरुक्षेत्र में हुआ था. भगवान ने युद्ध से विचलित अर्जुन को उपदेश दिए वह श्रीमद्भगवद् गीता के नाम से जाना जाता है. बता दें कि श्रीमद्भगवद्गीता के18 अध्यायों में से पहले 6 अध्यायों में कर्मयोग, फिर अगले 6 अध्‍यायों में ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्‍यायों में भक्तियोग का उपदेश है.

जीवन जीने की कला सिखाती है श्रीमद्भगवद् गीता

मोह में फंसे अर्जुन को मार्ग दिखाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था. गीता का ज्ञान हमें जीवन जीने की कला सिखाती है. भारत के सबके बडे़ ग्रन्थ महाभारत के अनुसार जब अर्जुन अपने परिवार को विपक्ष के रूप में देख विचलित होने लगे और उन्होंने भगवान से कहा कि वे अपनों से युद्ध नहीं कर सकते. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि ‘मैं युद्ध नहीं करूंगा. मैं पूज्य गुरुजनों तथा संबंध‍ियों को मार कर राज्य का सुख नहीं चाहता, भिक्षान्न खाकर जीवन धारण करना श्रेयस्कर मानता हूं.’ अर्जुन के सारथी बने श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए
उन्हें कर्तव्यों और कर्म के बारे में समझाया साथ ही अर्जुन को आत्मा-परमात्मा से लेकर धर्म-कर्म से जुड़ी अर्जुन की हर शंका का निदान किया. बता दें कि न केवल भारत अपितु विदेशों में भी गीता जयंती धूमधाम से मनाई जाती है.

श्रीमद्भगवद् गीता का महत्‍व

श्रीमद्भगवद् गीता हिंदुओं के सबसे पवित्र ग्रंथों मे से एक है. यह विश्व में इकलौता ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है. गीता अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध,काम और लोभ जैसी सांससरिक चीजों से मुक्ति का मार्ग बताती है. इसके अध्ययन, श्रवण, मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता का भाव आता है.

कैसे मनाते हैं गीता जयंती

– गीता जयंती के द‍िन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ किया जाता है.
– देश भर के मंदिरों विशेषकर इस्‍कॉन मंदिर में भगवान कृष्‍ण और गीता की पूजा की जाती है.
– गीता जयंती के मौके पर कई लोग उपावस रखते हैं.
– गीता के उपदेश पढ़े और सुने जाते हैं.

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