नई दिल्ली, सनातन धर्म-संस्कृति में पवित्र नदियों में स्नान-दान का बहुत महत्त्व होता है. माना जाता है कि स्नान-दान से मन के पाप तो धुलते ही हैं, साथ ही पुण्य की भी प्राप्ति होती है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी 9 जून को गंगा दशहरा का पावन पर्व पड़ रहा है, […]
नई दिल्ली, सनातन धर्म-संस्कृति में पवित्र नदियों में स्नान-दान का बहुत महत्त्व होता है. माना जाता है कि स्नान-दान से मन के पाप तो धुलते ही हैं, साथ ही पुण्य की भी प्राप्ति होती है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी 9 जून को गंगा दशहरा का पावन पर्व पड़ रहा है, गंगा दश्हरा पर पतित-पावनी मां गंगा की गोद में जाकर आस्था की डुबकी लगाने की विशेष मान्यता है. हालांकि जिनसे संभव नहीं हो पाता है, वे या तो घर पर ही पानी में गंगा जल मिलाकर या अन्य नदियों में जाकर स्नान कर सकते हैं.
ज्योतिषों के अनिसार गुरुवार सुबह 8 बजकर 23 मिनट से लेकर शुक्रवार सुबह 7 बजकर 27 मिनट तक गंगा दशहरा का शुभ मुर्हुत है. वहीं ज्योतिषियों के अनुसार इस बार इस दिन ग्रह-नक्षत्रों से मिलकर कुल 4 शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे बहुत ही शुभ परिणाम मिलने वाले हैं.
गंगा दश्हरा के दिन आस्था की डुबकी लगाने का विशेष महत्व होगा है, हालांकि सभी से प्रतिवर्ष संभव नहीं हो पाता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी के उद्गम स्थल से लेकर संगम स्थल जाकर डुबकी लगाए. ऐसे में अधिकांश श्रद्धालु घर पर ही पानी में थोड़ा गंगा जल मिलाकर या अन्य छोटी नदियों-सरोवरों में स्नान कर लेते हैं. इसके साथ ही इसी दिन जगह-जगह तटों पर देवनद दामोदर महोत्सव भी मनाया जाता है और पूजा-अर्चना भी की जाती है.
बताया जा रहा है कि स्नान करने से 3 कायिक, 4 वाचिक व 3 मानसिक यानी कुल मिलाकर 10 पापों से आपको मुक्ति मिलेगी. स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, रुपए, आभूषण व पूजन-सुहाग सामग्री के अलावा खरबूजा, सत्तू, शर्बत, पंखा आदि का दान करने का भी बहुत महत्व है.