Ganga Dussehra 2019 Puja Muhurat: गंगा दशहरा या गंगा अवतरण इस साल 12 जून, बुधवार को पड़ रहा है. इस दिन खास तरीके से पूजा व अर्चना की जाती है. जानिए कैसे करें गंगा दशहरा पर पूजा, शुभ मुहूर्त, मंत्र व स्नान-दान का महत्व.
नई दिल्ली. ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को हर साल गंगा दशहरा मनाया जाता है. गंगा दशहरा जिसे गंगा अवतरण के नाम से भी जाना जाता है. इस बार ये पर्व 12 जून, बुधवार को पड़ रहा है. हिंदू धर्म में इस खास मौके पर शुभ मुहूर्त के अनुरूप पूजा, स्नान व दान आदि किया जाता है. इस बार 75 सालों बाद महासंयोग बन रहा है जब गंगा मैया की पूजा करने से अवश्य हर मनोकामना पूरी होगी. हिंदू धर्म में मान्यता है कि गंगा दशहरा पर आस्था की डुबकी लेने से मां गंगे पापों से मुक्त कर अपने श्रद्धालुओं को मनोवांच्छित फल देती है. जानिए गंगा दशहरा पर कैसे करें पूजा, स्नान- का शुभ मुहूर्त.
गंगा दशहरा महत्व
गंगा में स्नान करने से पापों की मुक्ति व मन की शांति मिलती है. साथ ही इस दिन पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इस पर्व को मनाने के पीछे पौराणिक कथा भी प्रचलित है. ऐसा माना जाता है कि गंगा विष्णु भगवान के चरणों में रहती हैं. इसी गंगा को भागीरथ की तपस्या के बाद भोलेनाथ ने अपने जटाओं में धारण किया था. इसके बाद गंगा माता के धरती पर अवतरण हुआ, इस दिन को ही गंगा दशहरा के नाम से पूजा जाना जाने लगा.
गंगा दशहरे पर सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए. इस दिन संभव हो तो गंगा तट स्नान करना चाहिए. यदि नदी किनारे जाना संभव न हो तो घर में ही थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. इस विशेष दिन पर भक्त लस्सी, शरबत, शिकंजी, जलेबी, खीरा, मालपुआ, तरबूज जैसी चीजें प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं. इस दिन दान का खास महत्व होता है. इसीलिए खूब दान आदि किया जाता है. श्रद्धालु इस दिन यही सब सामान दान करें तो ये काफी लाभदायी होगा.
गंगा दशहरा पर स्नान का शुभ मुहूर्त
गंगा दशहरा पर सुबह 5.45 से शाम 6.27 तक दशमय तिथि होगी इस दौरान पूजा और दान दोनों ही बेहद शुभ रहेगा. लेकिन स्नान के लिए सुबह 4.20 बजे से 5.45 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त है जिसमें स्नान करना ज्यादा शुभ होगा. इन दो मुहूर्त में श्रद्धालु स्नान व दान दोनों कर सकते हैं.
गंगा दशहरा पर स्नान के दौरान इन मंत्रों का करें उच्चारण
ऊँ नम: शिवाय नारायण्यै दशहराय गंगाय नम:
ऊँ नमो भगवते एं ह्रीं श्रीं हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय स्वाहा