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Ganesh Chaturthi : जानिए गणपति बाप्पा के जन्म से जुड़ी कहानी, कैसे गणेश जी का नाम पड़ा एकदन्त गजानन

Ganesh Chaturthi आज देश भर में गणेशोत्सव की धूम है, महाराष्ट्र में गणेशोत्सव ( Ganesh Chaturthi ) की धूम अलग ही देखने को मिलती है. महाराष्ट्र में यह पर्व पूरे दस दिन बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस पर्व की धूम पूरे देश में देखने को मिलती है. जानिए गणेश का नाम कैसे […]

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Ganesh Utsav 2022
  • September 10, 2021 9:43 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Ganesh Chaturthi

आज देश भर में गणेशोत्सव की धूम है, महाराष्ट्र में गणेशोत्सव ( Ganesh Chaturthi ) की धूम अलग ही देखने को मिलती है. महाराष्ट्र में यह पर्व पूरे दस दिन बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस पर्व की धूम पूरे देश में देखने को मिलती है.

जानिए गणेश का नाम कैसे पड़ा एकदन्त

एक बार स्नान करने जाते वक़्त पार्वती जी ने अपने मैल से एक मूर्ति का गढ़न किया और प्राण फूंक दिए जिसके बाद इस मूर्ति ने जीवंत रूप ले लिया. माता पार्वती ने इस मूर्ति को गणेश नाम दिया. विद्या, बुद्धि, विनय, विवेक में भगवान गणेश अग्रिम हैं. वे वेदज्ञ हैं. महाभारत को उन्होंने लिपिबद्ध किया है. गणेश चतुर्थी को पट्टी पूजन विशेष रूप से किया जाता है. दुनिया के सभी लेखक सृजक शिल्पी नवाचारी एकदंत से प्रेरणा पाते हैं. एकदंत स्वरूप गजानन को भगवान परशुराम के प्रहार से मिला. एक बार शिवजी के परमभक्त परशुराम भोलेनाथ से मिलने आए. उस समय कैलाशपति ध्यानमग्न थे. गणेश ने परशुराम को मिलने से रोक दिया. परशुराम ने उन्हें कहा वे मिले बिना नहीं गणेश ने परशुराम को मिलने से रोक दिया. परशुराम ने उन्हें कहा वे मिले बिना नहीं जाएंगे. गणेश अपने कर्तव्य से पीछे न हटते हुए उन्हें विनम्रता से उन्हें टालते रहे. जब परशुरामजी का धैर्य टूट गया तो उन्होंने गजानन को युद्ध के लिए ललकारा. ऐसे में गणाध्यक्ष गणेश को उनसे युद्ध करना पड़ा. गणेश जी और परशुराम के युद्ध में गणेश परशुराम के हर प्रहार को रोकते नज़र आए, लेकिन अंत में परशुराम ने उन पर शिव जी के से प्राप्त परशु से प्रहार किया, जिसका गणेश जी ने आदर किया और अपने ऊपर ले लिया. इस प्रहार से गणेश का एक दांत टूट गया और इस तरह उनका नाम पड़ गया एकदन्त गजानन.

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